भोपाल (ईन्यूज एमपी) मौसम विज्ञान केंद्र के पूर्व वरिष्ठ मौसम विज्ञानी अजय शुक्ला ने बताया कि मानसून के प्रवेश करने के बाद अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में प्रभावी वेदर सिस्टम नहीं बने। इस वजह से मानसून को ऊर्जा नहीं मिली। इसके चलते वातावरण में मौजूद नमी के कारण रुक-रुककर बरसात ही हो सकी है। हालांकि स्थानीय स्तर पर बने सिस्टम के कारण कहीं-कहीं अच्छी बारिश भी हुई। वर्तमान में भी कोई प्रभावी वेदर सिस्टम के नहीं बनने और मानसूून ट्रफ के हिमालय की तराई की तरफ खिसकने से अब बारिश की गतिविधियों में कमी आने की आशंका बढ़ रही है। वातावरण में आ रही नमी और तापमान बढ़ने के कारण मध्यप्रदेश के अलग-अलग जिलों में रुक-रुककर बौछारें पड़ने का सिलसिला बना हुआ है। हालांकि गरज-चमक के साथ हो रही बारिश से मप्र में अभी तक जून की औसत से 56 फीसद अधिक बरसात हो चुकी है। रविवार सुबह साढ़े आठ बजे तक 44 जिलों में जून का बारिश का कोटा पूरा हो चुका है, लेकिन आठ जिले बरसात को तरस रहे हैं। जबलपुर में बूंदाबांदी हुई। मौसम विज्ञान केंद्र के मौसम विज्ञानी आरके अग्रवाल ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से झारखंड पर बना कम दबाव का क्षेत्र कुछ कमजोर पड़ने के बाद उत्तरी छत्तीसगढ़ पर सक्रिय हो गया है। उत्तर-पश्चिम मप्र पर भी हवा के ऊपरी भाग में एक चक्रवात बना हुआ है। इन दिनों सिस्टम के कारण वातावरण में नमी आ रही है। इस वजह से राजधानी सहित प्रदेश के कई जिलों में गरज-चमक के साथ बौछारें पड़ रही हैं। बतादें कि सोमवार मंगलवार को भोपाल रीवा शहडोल जबलपुर उज्जैन होशंगाबाद और इंदौर संभाग के जिलों में कुछ स्थानों पर गरज चमक के साथ बौछारें पड़ने की संभावना है मौसम विज्ञान केंद्र के मुताबिक विंध्य क्षेत्र के रीवा और शहडोल संभाग के कुछ जिलों की वनांचल क्षेत्रों में बादल छाए हुए हैं कहीं दो तो कहीं बादल दिखाई दे रहे हैं माना जा रहा है कि सोमवार और मंगलवार को रीवा सीधी सतना सिंगरौली शहडोल अनूपपुर उमरिया जैसे जिलों में बारिश होने के आसार हैं।