उज्जैन - सिंहस्थ मेला क्षेत्रो मे साधु संतों के पांड़ाल सजने लगे है। इन पांड़ालों में विभिन्न अखाड़ों के साधु संत पड़ाव डाले हुए है। दत्त अखाडा से भूखी माता रोड पर श्री पंच दशनाम जूना अखाडे के नागा साधु संतो के अनेक टेंट तंबु लगे हुए है। इनमे से एक है श्री शिवगिरी सन्यासी आश्रम फरीदाबाद से आये साधु श्री रावगिरी जी महाराज। श्री रावगिरी जी चांदी का त्रिशुल एवं डमरू लिये श्रद्धालुओं को आर्शिवाद देते देखे जा सकते है। उनके पांडाल मे पानी मे तैरता पत्थर भी है। बकोल श्री रावगिरी जी ने बताया कि यह पत्थर त्रेतायुगीन पत्थर है जिसे नल व नील ने राम लिखकर सागर में फेंककर राम सेतु का निर्माण किया था। श्री रावगिरी जी बताते है िक इस तैरते पत्थर के दर्शन मात्र से श्रद्धालुओं के दु:ख श्री राम जी की कृपा से दूर हो जाते है। लोग श्रद्धा से इस पत्थर के दर्शन करते है और श्री रावगिरी जी का भी आशीर्वाद प्राप्त करते है। दत्त अखाड़ा से भूखी माता रोड पर ही काशी से आये नागा साधु श्री रमणगिरीजी भी एक पेड़ के नीचे बैठकर श्रद्धालुओं को आर्शिवाद दे रहे है, उनके पास में ही पेड़ पर बंधे झूले पर तपस्या करते नागा साधु महेन्द्रगिरी जी भी श्रद्धलुओ के आकर्षण का केन्द्र बने हुए है।