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बड़वानी - कलेक्टर ने राजपुर के सम्मेलन में भी जगाया, खुले में शौच मुक्त बनाने का अलख

बड़वानी - सम्पूर्ण जिले को खुले में शौच से मुक्ति दिलवाने में ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत एवं जिला पंचायत के निर्वाचित सदस्यो का विशेष योगदान है। क्योंकि इन निर्वाचित जनप्रतिनिधियो का रहवास ग्रामीण क्षेत्र में होने से वे स्वयं इस परेशानी को महसूस कर रहे है। अतः त्रि-स्तरीय पंचायत के निर्वाचित सदस्य अपने प्रभाव का इस्तेमाल खुले में शौच मुक्त जिला बनाने में करें। जिससे अगले दो माह में हमारा जिला भी खुले में शौच मुक्त हुये जिलो में शुमार हो सके।
कलेक्टर श्री अजयसिंह गंगवार ने शनिवार को राजपुर के मांगलिक भवन में आयोजित सम्मेलन में उक्त बाते त्रि-स्तरीय पंचायत के निर्वाचित सदस्यो को सम्बोधित करते हुए कही। त्रि-स्तरीय पंचायत के निर्वाचित सदस्यो को सम्बोधित करते हुये कही। इस सम्मेलन में जिला पंचायत के सदस्य श्री दिलीप शंकर खरते, जनपद पंचायत राजपुर अध्यक्ष श्री गजानंद डावर, जिला पंचायत के अतिरिक्त सीईओ श्री अनिल पंवार, जनपद पंचायत राजपुर के सीईओ श्री प्रभात द्विवेदी, जनपद सदस्य श्री जीतु यादव, विधायक प्रतिनिधि श्री सीताराम डावर, तहसीलदार श्री जेपी भट्ट सहित ग्राम पंचायतो के सरपंच-सचिव-ग्राम रोजगार सहायक, प्रेरक, विभिन्न विभागो के खण्ड स्तरीय अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे।
सम्मेलन के दौरान कलेक्टर ने उपस्थित प्रतिनिधियो-कर्मियो, प्रेरको से आव्हान किया कि शौचालय बनाने के साथ-साथ इनका नियमित उपयोग हो, यह ग्रामीणो को समझाना महत्वपूर्ण है। अतः सभी मिलकर ग्रामीणो को समझाये, सुबह-शाम की जाने वाली विभिन्न गतिविधियो में अपना योगदान दे।
सम्मेलन के दौरान जिला पंचायत के अतिरिक्त कार्यपालन अधिकारी श्री अनिल पंवार ने बताया कि खुले में मानव मल विद्यमान जीवाणु-विषाणु, बिमारियो के कीटाणु डेढ़ साल तक नही मरते। इसलिए हम घरो में बन रहे शौचालयो में दो सोख्ता खड्डे बना रहे है। जिससे दो वर्ष में एक खड्डा भरने के बाद हमारा मल दूसरे खड्डे में संग्रहित होने लगे। वही पहले खड्डे में भरा मानव मल इस दो साल में किटाणु रहित हो जाये। सोचे यदि मानव मल हमारे खुले में शौच की प्रवृति के कारण जगह-जगह पड़े है, और इनके विषाणु-जिवाणु-बिमारियो के कीड़े हमारे पैरो, मक्खियो के कारण हमारे घरो के अंदर पहुंचकर हमारे खाने को प्रदूषित कर रहे है। इससे प्रत्येक परिवार औसतन रूप से प्रति वर्ष 10 से 12 हजार रूपये अपने ईलाज पर व्यय कर रहा है। जबकि मात्र 12 हजार में बनने वाला यही शौचालय 20 साल तक हमे बिमारियो, हमारी माताओ-बहनो, बहुओ को खुले में शौच जाने की जिल्लत से मुक्ति दिला रहा है।
सभी ने लिया प्रण
सम्मेलन के दौरान उपस्थित जनप्रतिनिधियो-कर्मियो को प्रण भी करवाया गया कि वे इस अभियान में अपना पूर्ण योगदान देंगे। इसके लिये वे जहॉ स्वयं शौचालय का नियमित उपयोग करेंगे। वही अपने आस-पास रहने वाले किसी को भी खुले में शौच नही जाने देंगे।

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