मध्यप्रदेश के राजनीतिक क्षितिज की बात की जाये तो विंध्य क्षेत्र इकलौता ऐसा क्षेत्र है जंहा एक खास तबके के नेताओं की जमके उपेक्षा की गई है , अगर बीते हुए विधानसभा चुनाव को देखा जाए जिसमे विगत दो तीन चुनावो से विंध्य में भाजपा का काफी दबदबा रहा है, जिसका कारण था भाजपा में कई एक खास तबके के कद्दावर नेता उभर कर आये थे, सीधी , रीवा , सतना , सहित अन्य जिलों में ऐसी लंबी नेताओं की फेहरिस्त थी जिन पर जनता को काफी उम्मीद थी । लाजमी है सभी नेता भी दमदार और जमीनी हैं , और उगते सूरज को सभी सलाम करते है, लेकिन अब ये पूरी टीम एक दो नाम को छोड़कर हर विधानसभा में क्रमशः सक्रिय राजनीति से बाहर होते जा रहे हैं । लेकिन जिस तरह से भाजपा को इनके मौजूदगी का लाभ मिला, उस तरह से भाजपा ने इनके मूल्य का पद इन्हें नही दिया, अबकी बार शिवराज सिंह के गठित मंत्रिमंडल में काफी सुगबुगाहट थी इस बार तो हर हाल में सीधी और रीवा को जगह मिलेगी, पर शायद भाजपा को पिछले परिणाम से अतिविश्वास हो चला है कि विंध्य का वोट बैंक तो उनका ही है, इसलिए उन्होंने एक दम नजरअंदाज कर दिया, अब इसका परिणाम क्या होगा आने वाला समय और कांग्रेस की रणनीति ही तय करेगी, कांग्रेस में भी एक समय राजनीति में धूमकेतु के समान खास तबके के नेता का नेतृत्व था जिसका सम्मान आज भी विंध्य वासियों के हृदय में अमिट है। हालांकि कांग्रेस की परंपरा जातीय संतुलन बना कर नेतृत्व खड़ा करना था, जिसमे विंध्य हर वर्ग से एक बड़ा कद्दावर नेता रहा है, पर इस समय राजनीतिक स्वभाव के ऊर्जावान क्षमता के खास तबके के नेता का एकदम से अकाल सा हो चला है, जिस बात की चिंता कांग्रेस के आकाओं को भी है, पर अभी उन्हें कोई राजनीतिक तेंदुलकर की तलाश है। कांग्रेस में खास तबके के नेतृव के अभाव होने के कारण भी है, संगठन अभी अनमने से कछुआ चाल में है, आने वाले नए लोगो को उतनी प्राथमिकता नही मिल पाती, पावरफुल व्यक्तियों को उनको अपना भविष्य खतरे में नजर आने लगता है जो यथार्थ में कही है ही नही। पर अभी जिस तरह कांग्रेस की नई रणनीति की विसात विछाने की बात हो रही है, हो सकता है उसमें चौकाने वाले निर्णय लेते हुए नए लोंगो को आगे ला कर खड़ा कर नई पारी की शुरुआत की जाए। इतना जरूर कहेंगें कि वर्तमान हालातों को देखते हुये उपेक्षित यह खास तबका अब इन दिनों अपनी जमीन तलाशने में जुटा है , आपको याद होगा कि यूपी की राजनीति में बहन जी तब तक सत्ता की गलियारों से दूर थी जब तक यह खास तबके से दूरी थी ...? इतिहास गवाह है कि जब जब यह तबका अगुआई किया तब तब बहन जी के राजनीतिक सितारे कुछ और थे । सब्र करिये जिस बोट बैंक का घमंड मड़रा रहा है वह एक दिन यही खास तबका चकनाचूर करेगा । खैर जो कुछ होगा, जो समय कहेगा हम फिर लिखेंगे, विंध्य के एक नए नेतृत्व को तलासते हुए .....