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उन्नत खाद, बीज और तकनीक का करें उपयोग - श्रीमती किरार

रायसेन - कृषि विस्तार सुधार कार्यक्रम Сआत्माТ के अंतर्गत तीन दिवसीय जिला स्तरीय कृषि विज्ञान मेले का कृषि विज्ञान केन्द्र नकतरा में जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती अनीता किरार तथा कलेक्टर श्री जेके जैन द्वारा शुभारंभ किया गया। शुभारंभ अवसर पर कृषि स्थायी समिति के सभापति श्री नेतराम कौरव तथा जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री स्वरोचिष सोमवंशी उपस्थित थे।
इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती अनीता किरार ने कहा कि जल, जंगल, जमीन के क्षेत्र में लगातार कमी आती जा रही है। आबादी के बढ़ने के साथ-साथ खेती का रकबा भी लगातार कम होता जा रहा है। बढ़ती हुई आबादी को खाद्यान्न उपलब्ध कराने के लिए कृषि की नवीनतम तकनीकों, उन्नत खाद, बीजों का उपयोग करना आवश्यक है। उन्होंने किसानों से मेले में कृषि वैज्ञानिकों द्वारा दी गई जानकारी का कृषि में समुचित उपयोग करने की अपील की।
कम लागत में अधिक उत्पादन के लिए जैविक कृषि अपनाएं- कलेक्टर
प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा कृषि के विकास एवं कल्याण तथा खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिए अनेक योजनाएं चलाई जा रही हैं। लेकिन कई बार किसानों की इच्छाशक्ति में कमी के कारण योजनाओं के उद्देश्य को प्राप्त करना कठिन होता है। योजनाओं की सार्थकता तभी है जब किसान अपनी ज्ञान, बुद्धि एवं अनुभव के आधार पर कृषि में परिवर्तन लाकर कम लागत में अधिक उत्पादन लें। यह विचार कलेक्टर श्री जेके जैन ने नकतरा में आयोजित तीन दिवसीय जिला स्तरीय कृषि विज्ञान मेले में व्यक्त किए।
कलेक्टर श्री जैन ने कहा कि कई बार बिना सोचे समझे किसान दूसरों को देखकर अपने अनुभव या ज्ञान का उपयोग किए बिना अनुकरण करने लगते हैं, जिसके कई नुकसानदायक परिणाम भी होते हैं। उन्होंने कहा कि अधिक उत्पादन के लिए रासायनिक खादों एवं कीटनाशकों का अत्याधिक उपयोग करने लगते हैं जिससे न केवल भूमि की उर्वरता कम होती है बल्कि फसल की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है। किसानों को अब समझना होगा कि किस फसल के लिए कितनी खाद, कितने पानी और कितनी मात्रा में कीटनाशक का संतुलित अनुपात में उपयोग करना है।
श्री जैन ने कहा कि जैविक कृषि अपनाकर अपने पारम्परिक कृषि ज्ञान के उपयोग से भी कम लागत में अधिक उत्पादन लिया जा सकता है। जैविक खाद, जैविक कीटनाशकों से एक ओर जहां उत्पादन लागत कम होगी वहीं फसल के प्राकृतिक गुण भी बने रहेंगे। जिससे पोषण और विटामिन की मात्रा भी सही अनुमात में होगी। उन्होंने कहा कि जिले में जैविक कृषि के लिए अनुकूल वातावरण है। यहां पर्याप्त वन, पशुधन उपलब्ध है जिनका जैविक कृषि के लिए उपयोग किया जा सकता है। श्री जैन ने कहा कि किसानों को अपने खेत की 15 प्रतिशत भूमि पर जल भण्डारण करना चाहिए। इससे वहां का भू-जल स्तर ठीक होने के साथ ही आय के कई स्त्रोत निर्मित होंगे। श्री जैन ने किसानों को नरवाई जलाने से होने वाले नुकसान के बारे में भी बताया। उन्होंने किसानों से उद्यानिकी और पशुपालन अपनाने की भी बात कही। उन्होंने तेजी से घट रहे भू-जल स्तर को दृष्टिगत रखते हुए ड्रिप इरिगेशन करने का सुझाव दिया। इसके साथ ही उन्होंने नशा नहीं करने, स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहने तथा अपने गांव में सरकारी सेवाओं की मॉनीटरिंग करने की भी बात की।
कार्यक्रम में कृषि स्थायी समिति के सभापति श्री नेतराम कौरव ने सरकार की कृषि योजनाओं का लाभ लेने और कृषि विज्ञान मेले में कृषि की नवीनतम तकनीकों की जानकारी लेने की बात कही। कार्यक्रम के आरंभ में कृषि विस्तार सुधार कार्यक्रम Сआत्माТ परियोजना के संचालक श्री रविन्द्र मोदी द्वारा कृषि विज्ञान मेले के संबंध में विस्तार से जानकारी दी।
प्रदर्शनी के माध्यम से योजनाओं की जानकारी
मेले में पंचायत एवं ग्रामीण विकास, कृषि, उद्यान, मत्स्य, स्वास्थ्य, जल संसाधन, बैंक, पशुपालन, ऊर्जा, वन, सहायक कृषि यंत्री, कृषि उपज मंडी समिति एवं अन्य विभागों द्वारा स्टाल लगाकर प्रदर्शनी के माध्यम से उनकी योजनाओं के बारे में जानकारी दी गई। साथ ही मेले में कृषि आदान सामग्री विक्रेता एवं निर्माता कम्पनियों, बीज निगम, बीज उत्पादक समितियां, पीपी पार्टनर्स, कृषि यंत्र आदि के स्टॉल लगाकर नवीन कृषि आदानों से संबंधित जानकारियां भी प्रदर्शित की गईं

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