नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी ने मंगलवार को राजधानी में बिजली वितरण करने वाली कंपनियों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की मांग की है। 'आप' पार्टी ने दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (DERC) से बिजली कंपनियों के टैरिफ बढ़ाने के अनुरोध को भी रद्द किए जाने की मांग की है। आम आदमी पार्टी के नेता दीपक वाजपेयी ने कहा कि सरकार को कोर्ट से सीएजी रिपोर्ट को पब्लिक किए जाने का भी आग्रह करना चाहिए। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कंप्ट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल ऑफ इंडिया, सीएजी) की रिपोर्ट ने खुलासा किया है कि दिल्ली में बिजली की तीन कंपनियों ने करीब 8000 करोड़ का घाटा दिखाया है। मीडिया में आई खबरों के मुताबिक 212 पन्नों की इस रिपोर्ट में दिल्ली में बिजली की आपूर्ति करने वाली बीएसईएस यमुना पावर लिमिटेड, बीएसईएस राजधानी पावर लिमिटेड और टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रिब्यूशन लिमिटेड ने यह हेरफेर किया है। सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक कंपनियों ने इसमें उपभोक्ताओं के आंकड़ों में धांधली कर यह सब किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन कंपनियों ने लागत बढ़ाकर दिखाई, महंगी बिजली खरीदी और राजस्व कम दिखाया है। आम आदमी पार्टी की सरकार ने ऑडिट का आदेश दिया था। इस रिपोर्ट के खुलासे के बाद आप नेता आशीष खेतान ने ट्वीट कर कहा कि दिल्ली में बिजली के नाम पे जनता को लूटा जा रहा था। अगर केजरीवाल बिजली कंपनियों के खिलाफ मोर्चा नहीं खोलता तो जनता की जेब ऐसे ही कटती रहती। वहीं दूसरी ओर डिस्कॉम ने सफाई देते हुए कहा है कि ये अंतिम रिपोर्ट नहीं हो सकती। उसके मुताबिक सीएजी ऑडिट मामला हाईकोर्ट में लंबित है और इस रिपोर्ट का बाहर आना हैरानी की बात है। सूत्रों के मुताबिक सीएजी ने एग्जिट इंटरव्यू भी नहीं लिया। सीएजी की इस रिपोर्ट से आम आदमी पार्टी के उस दावे को बल मिलता है कि दिल्ली में बिजली की दरें न्यायसंगत नहीं हैं। इस खुलासे के बाद एक निजी चैनल से बात करते हुए आम आदमी पार्टी नेता दिलीप पांडे ने कहा कि उनकी पार्टी के दावे पर मुहर लगी है। इसके साथ ही रिपोर्ट में दिल्ली में मीटर में गड़बड़ी और उसके ठीक किए जाने के आदेश के बाद बदले गए मीटर में भी इन कंपनियों पर अनुचित लाभ उठाने का आरोप लगाया गया है। इस रिपोर्ट को दिल्ली में केजरीवाल सरकार के लिए वरदान की तरह देखा जा सकता है, क्योंकि 2014 में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही केजरीवाल ने सीएजी से मुलाक़ात कर उन्हें बिजली कंपनियों के ऑडिट के लिए कहा था। अख़बार के मुताबिक, इस ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि बिना सब्सिडी दिए भी दिल्ली में बिजली के बिल में कमी लाई जा सकती है।