भोपाल (ईन्यूज एमपी)-पर्यावरण को लेकर मध्य प्रदेश सरकार काफी संवेदनशील है। सरकार ने पिछले दो साल में 11 करोड़ से ज्यादा पौधे रोपे हैं, लेकिन घने जंगलों को नहीं बचा पा रही है। इन दो सालों में अकेले सीधी जिले में 400 वर्ग किलोमीटर घना जंगल कम हो गया। यह चौंकाने वाले आंकड़े भारतीय वन सर्वेक्षण देहरादून की ताजा रिपोर्ट में सामने आए हैं। यह सर्वे वर्ष 2017 में किया गया था, जिसकी रिपोर्ट वन विभाग ने प्रकाशित की है। इस रिपोर्ट के मुताबिक बेहतर जंगल की पहचान रखने वाले शहडोल और मंडला जिले में भी घना जंगल कम हुआ है और इसकी मुख्य वजह लकड़ी चोरी और वनभूमि को खेती के लिए तैयार करना बताया जा रहा है। हालांकि डिंडौरी, ग्वालियर, शिवपुरी में जंगल बढ़ा भी है, लेकिन यह वृद्धि खुले वन क्षेत्र में हुई है। भारतीय वन सर्वेक्षण संस्थान हर दो साल में देशभर में जंगलों का सर्वे करता है। संस्थान की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक सीधी जिले में 2013 के मुकाबले 2015 में एक वर्ग किमी घना जंगल कम हुआ था, जबकि 2017 में 400 वर्ग किमी कम हो गया। जानकार बताते हैं कि यह रिपोर्ट वर्ष 2018 में विभाग को परीक्षण के लिए उपलब्ध करा दी गई थी, लेकिन अफसरों ने इन चौंकाने वाले आंकड़ों पर विशेष ध्यान नहीं दिया। जिले में 2015 में 716 वर्ग किमी घना जंगल था, जो 2017 में 316 वर्ग किमी रह गया है। यहां मध्यम घने और खुले जंगल में भी कटाई सामने आई है। 2015 में जिले में 1931 वर्ग किमी मध्यम घना जंगल था, जो अब 884 वर्ग किमी बचा है, जबकि 1438 वर्ग किमी खुला जंगल कम होकर 732 वर्ग किमी रह गया है। रिपोर्ट के मुताबिक शहडोल जिले में 122 वर्ग किमी घना, 433 वर्ग किमी मध्यम घना और 242 वर्ग किमी खुला जंगल कम हुआ है। मंडला में 59 वर्ग किमी घना, 116 वर्ग किमी मध्यम घना और 91 वर्ग किमी खुला जंगल कम हुआ है। उमरिया में खुला जंगल 15 वर्ग किमी और मध्यम घना 17 वर्ग किमी बढ़ा है, लेकिन घना जंगल 32 वर्ग किमी कम हो गया है। इन दो सालों में डिंडौरी में 49 वर्ग किमी घना और 109 वर्ग किमी खुला जंगल बढ़ गया है तो 107 वर्ग किमी मध्यम घना जंगल कम भी हुआ है। ऐसे ही शिवपुरी में 97 वर्ग किमी खुला जंगल बढ़ा है। जबकि घना और मध्यम घना जंगल कम हुआ है। प्रदेश की राजधानी भोपाल में भी जंगल को नुकसान पहुंचा है। जिले में तीन वर्ग किमी मध्यम घना और आठ वर्ग किमी खुला जंगल कम हुआ है। इन जिलों में आंशिक सुधरी स्थिति बालाघाट, ग्वालियर सहित आधा दर्जन से ज्यादा जिलों में जंगल की स्थिति में आंशिक सुधार भी हुआ है। ग्वालियर में मध्यम घना जंगल दो वर्ग किमी और खुला जंगल पांच वर्ग किमी बढ़ गया है। बालाघाट में मध्यम घना जंगल 17 वर्ग किमी बढ़ गया है। वहीं इमारती लकड़ी और लकड़ी चोरी के लिए चर्चित रहने वाले जिले बैतूल में भी मध्यम घने और खुले जंगल की स्थिति सुधरी है। जंगल कटाई में अतिक्रमण बड़ी वजह प्रदेश में सिकुड़ते जंगलों का सबसे बड़ा कारण अतिक्रमण बताया जा रहा है। जानकार बताते हैं कि वन अधिकार कानून 2006 आने के बाद से घने और मध्यम घने जंगलों में जमकर कुल्हाड़ी चली है। कानून के तहत 2006 से पहले के कब्जे मान्य किए जा रहे हैं, लेकिन लोग आगे भी ऐसे ही राजनीतिक निर्णय होने की उम्मीद में जंगल की जमीन पर कब्जा कर रहे हैं। आदिम जाति कल्याण विभाग और वन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक करीब साढ़े तीन लाख लोगों के वनभूमि पर कब्जे के दावे खारिज किए गए हैं। इनमें से करीब डेढ़ लाख लोग ऐसे हैं, जो वन भूमि पर काबिज नहीं हैं, लेकिन दावे प्रस्तुत कर चुके हैं।