भोपाल (ईन्यूज एमपी)- मध्यप्रदेश में 6 माह पुरानी कमलनाथ सरकार के अंतर्विरोध और मंत्रियों की तकरार सामने आते ही गुरुवार को सियासी सरगर्मी चरम पर बनी रहीं। मंत्रिमंडल में फेरबदल और दो मंत्रियों को हटाने की अटकलें जोर-शोर से चलती रहीं। इस बीच सिंधिया गुट के मंत्री गोविंद राजपूत ने मीडिया से दो टूक शब्दों में कहा कि मुख्यमंत्री कमलनाथ को मंत्री-विधायकों के लिए समय देना चाहिए। कमलनाथ हमारे नेता हैं अपनी बात रखने हम उन्हीं के पास जाएंगे। उधर, निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा तो यह दावा करते नजर आए कि मेरा मंत्री बनना बिल्कुल तय है, मुख्यमंत्री मुझे आश्वस्त कर चुके हैं। परिवहन मंत्री राजपूत ने मीडिया से कहा कि मुख्यमंत्री कमलनाथ की काफी व्यस्त दिनचर्या है, लेकिन मंत्री-विधायकों के लिए उन्हें समय निकालना चाहिए। वह हमारे नेता हैं, हम अपनी बात उन्हीं के पास ही रखेंगे। मुख्यमंत्री के साथ किसी भी तरह की तकरार की बात से उन्होंने इनकार कर दिया। कैबिनेट में हुए विवाद के चलते सुर्खियों में आए मंत्री प्रद्युम्न सिंह ने कहा कि भाजपा सरकार में अधिकारी ही सरकार चलाते थे, हम जनता की बात मंत्रिमंडल के पटल पर रखते हैं। कैबिनेट में नोंक-झोंक के सवाल पर वह कहते हैं कि बैठक में कई मुद्दों पर चर्चा हुई थी, लेकिन विवाद की बात को वह टाल गए। मुख्यमंत्री अथवा मंत्री सुखदेव पांसे से किसी भी तरह की नोंक-झोंक के सवाल पर उन्होंने स्पष्ट इनकार कर दिया। वन मंत्री उमंग सिंघार ने मीडिया से चर्चा में आरोप लगाया कि 15 साल तक अफसरशाही लोकतंत्र पर हावी रही। मुख्यमंत्री से मेल-मुलाकात के लिए मंत्री-विधायकों को समय नहीं मिलने के सवाल पर वह बोले कि ऐसा मेरी जानकारी में नहीं है। मुख्यमंत्री तो मंत्री-विधायकों से रोज ही मिलते हैं। मंत्रियों के विवाद की बात को उन्होंने निराधार बताते हुए मंत्रिमंडल विस्तार के सवाल पर यही जवाब दिया कि यह मुख्यमंत्री का विवेकाधिकार का मामला है।