भोपाल(ईन्यूज एमपी)- मप्र में समाजवादी पार्टी बिना संगठन के ही लोकसभा चुनाव की वैतरणी पार करेगी। विधानसभा चुनाव में पार्टी का परफार्मेंस देख सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव प्रदेश कार्यकारिणी पहले ही भंग कर चुके हैं। सपा नेताओं को उम्मीद थी कि नई कार्यकारिणी में काबिज होने का मौका मिलेगा, लेकिन पार्टी हाईकमान ने साफ कर दिया कि लोकसभा चुनाव के बाद ही कार्यकारिणी का गठन किया जाएगा। पार्टी ने गठबंधन के बाद प्रदेश की तीन सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी की है। प्रदेश में लोकसभा चुनाव की सरगर्मी बढ़ चुकी है, प्रत्याशियों की घोषणा भी होने लगी हैं, लेकिन समाजवादी पार्टी के पास फिलहाल अपना कोई संगठन ही अस्तित्व में नहीं है। संगठन की गतिविधियां ही ठप हैं, ऐसे में पार्टी यह उम्मीद लगाकर बैठी है कि लोकसभा चुनाव में उसे बालाघाट, टीकमगढ़ और खजुराहो चुनाव में जो कार्यकर्ता बढ़-चढ़कर काम करेंगे और प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित करेंगे, बाद में उन्हें ही पार्टी की प्रदेश इकाई में महत्वपूर्ण पद देकर पुरस्कृत किया जाएगा। पार्टी सूत्रों का कहना है कि इस कारण प्रत्याशियों पर दोहरी जवाबदारी आ गई है, उन्हें अपने चुनाव की जमावट के साथ पार्टी के लिए कैडर भी तैयार करना पड़ रहा है। नहीं होगा मैदानी संगठन इस बीच पार्टी ने बिना संगठन के ही चुनाव लड़ने का निर्णय किया है। पार्टी ने बसपा के साथ प्रदेश में जो गठबंधन किया है, उसमें एक-दो सीटों के हेर-फेर को लेकर भी चर्चा चल पड़ी है। विधानसभा चुनाव के दौरान मप्र में सपा, बसपा और कांग्रेस के बीच चुनाव को लेकर किसी भी तरह की सहमति नहीं बन पाई थी। इसका खामियाजा तीनों ही दलों को हुआ। इसके बाद लोकसभा चुनाव के लिए सपा-बसपा ने सबसे पहले आपस में सीटों का समझौता कर लिया। सपा के हिस्से में तीन सीटें बालाघाट, टीकमगढ़ और खजुराहो आई हैं। टीकमगढ़ में सपा ने अपना प्रत्याशी भी घोषित कर दिया है, लेकिन इस बीच बसपा ने बालाघाट सीट को लेकर अपनी तैयारी और मंशा प्रकट कर दी है। बसपा का कहना है कि बालाघाट के बारे में नए सिरे से एलान किया जाएगा। दोनों दलों के प्रमुख नेताओं के बीच में इस बारे में चर्चा हुई है, मंडला सीट भी समझौते में देने का प्रस्ताव है। फिलहाल सपा ने इस संभावनाओं से इनकार नहीं किया है।