भोपाल(ईन्यूज एमपी)- तबादले के बाद जिन अधिकारियों-कर्मचारियों ने नई पदस्थापना पर आमद नहीं दी है, उन्हें अब कार्यमुक्त नहीं किया जाएगा। चुनाव आयोग ने इस पर रोक लगा दी है। भले ही तबादला आचार संहिता लागू होने यानी दस मार्च से पहले ही क्यों न हुआ है। कार्यमुक्ति को भी तबादले की परिधि में माना जाएगा। इसका कड़ाई से पालन करने के निर्देश मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी वीएल कांताराव ने शासन को दिए हैं। प्रदेश सरकार के अधिकांश विभागों ने आचार संहिता लागू होने से ठीक पहले थोकबंद तबादले किए थे। नियमानुसार नई पदस्थापना पर आमद देने के लिए अधिकारियों-कर्मचारियों को हफ्ते-दस दिन की मोहलत मिलती है, लेकिन दस मार्च के पहले या बाद में हुए तबादलों का क्रियान्वयन अब आसानी से नहीं होगा। दरअसल, चुनाव आयोग ने कार्यमुक्ति को भी तबादले की श्रेणी में रखा है। इससे उन अधिकारियों-कर्मचारियों के अरमानों पर पानी फिर सकता है, जिन्होंने जुगाड़ से तबादले करवाए थे। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी वीएल कांताराव ने बताया कि आचार संहिता प्रभावी है। ऐसे में कार्यमुक्ति भी तबादले की परिधि में आएगा और ऐसे किसी भी काम के लिए चुनाव आयोग की इजाजत लेने जरूरी है। यदि कलेक्टर को लगता है कि कार्यमुक्ति जरूरी है तो फिर उसे पहले प्रस्ताव भेजना होगा। यदि मंजूरी मिल जाती है तो ही कार्यमुक्ति हो सकेगी।