भोपाल(ईन्यूज एमपी)- मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस कुछ बड़े नेताओं को उतारने की तैयारी में है, लेकिन उनकी सीट को लेकर संशय की स्थिति है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, रामकृष्ण कुसमरिया और अजय सिंह जैसे नेताओं के नाम दो से लेकर तीन सीटों पर चल रहे हैं। इसके चलते आधा दर्जन से ज्यादा सीटों पर गफलत की स्थिति बनी हुई है। सोमवार को केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में इनकी सीटों के फाइनल होने की संभावना जताई जा रही है। मुख्यमंत्री कमलनाथ मप्र की 25 सीटों पर जीत का दावा कर रहे हैं। इसके लिए हर सीट पर प्रत्याशी चयन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। बड़े नेताओं को सुरक्षित सीट के बजाय उन सीटों पर उतारे जाने की तैयारी है, जहां पार्टी को लंबे समय से जीत नहीं मिली है। तीन सीट पर पसोपेश दिग्विजय के लोकसभा चुनाव में उतरने की स्थिति बनने से उन्हें भोपाल, इंदौर या राजगढ़ से प्रत्याशी बनाने की मांग उठने लगी है। 2014 में मोदी लहर के कारण तीनों सीटों पर कांग्रेस को पौने तीन लाख से पौने पांच लाख के वोटों के अंतर से हार मिली थी। 2009 में यही अंतर साढ़े 11 हजार से लेकर करीब 65 हजार का था। दिग्विजय के लिए राजगढ़ सीट आसान मानी जा रही है और हाईकमान भोपाल या इंदौर की उन सीटों से उन्हें उतारने के प्रयास में है, जहां दो दशक से भी ज्यादा समय से जीत नहीं मिली है। पार्टी के सामने बुंदेलखंड की सागर, दमोह और खजुराहो सीट पर ओबीसी और ब्राह्मण फैक्टर है। इन सीटों में से दो पर ओबीसी प्रत्याशी को उतारे जाने की चर्चा है तो एक सीट पर ब्राह्मण नेता को मैदान में लाया जा सकता है। भाजपा से कांग्रेस में आए पूर्व मंत्री रामकृष्ण कुसमरिया को पार्टी ने प्रत्याशी बनाने का फैसला लगभग ले लिया है। वहीं, ब्राह्मण नेताओं चंद्रिका प्रसाद द्विवेदी और मुकेश नायक में से एक को टिकट दिए जाने के संकेत हैं। दमोह या खजुराहो में ओबीसी-ब्राह्मण नेताओं के बीच सीट का बंटवारा हो सकता है। सतना-सीधी पर भी संशय विन्ध्य में मामा-भांजे पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह और पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष राजेंद्र सिंह दोनों को टिकट मिलने की संभावना है। मगर दोनों ही नेता सतना से चुनाव की तैयारी कर रहे हैं। अजय सिंह को चुरहट में हार के कारण सहानुभूति वोट मिलने के आसार हैं, जिससे सीधी से उन्हें टिकट मिलने की संभावना ज्यादा है।