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महिला विभाग में ही महिलाओं के साथ दोयम दर्जे का बर्ताव .....

भोपाल(ईन्यूज एमपी)-अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर प्रदेश का महिला एवं बाल विकास विभाग लंबा चौड़ा बजट खर्च कर उनके तथाकथित हित के व्याख्यान हेतु व्यापक आयोजन कर रहा है। दूसरी तरफ महिला एवं बाल विकास विभाग में ही कार्यरत महिला अधिकारियों के साथ, दोयम दर्जे के बर्ताव के सबूत मिले हैं।
भेदभाव महिला सशक्तिकरण संचालनालय से आईं विकास खंड महिला सशक्तिकरण अधिकारियों के साथ हुआ है। समायोजन व युक्तियुक्तकरण के नाम हालही में जारी सूची के अनुसार उन्हे प्रदेश की विभिन्न परियोजनाओं में प्रभारी बाल विकास परियोजना अधिकारी एवं प्रभारी प्रशासक वन स्टाप सेंटर के पद नाम से पदस्थ किया गया है। जबकि वह परियोजना अधिकारी के समान ही वेतनमान व पद धारित करती हैं।
एकीकृत बाल विकास सेवा एवं महिला सशक्तिकरण संचालनालय के एकीकरण उपरांत मध्य प्रदेश शासन महिला एवं बाल विकास विभाग मंत्रालय, वल्लभ भवन भोपाल, के आदेश दिनांक : 28.05.2018, क्रमांक 1 (ए) 32/2011/50-1 में जारी निर्देश कंडिका 3 में स्पष्ट लेख किया है कि विकासखंड महिला सशक्तिकरण अधिकारी संवर्ग में स्वीकृत 313 पदों में से भरे हुये पदों पर पदस्थ अधिकारियों को "बाल विकास परियोजना अधिकारी" के रिक्त पदों पर पदस्थ करने हेतु संचालनालय, महिला एवं बाल विकास स्तर से शीघ्र ही प्रस्ताव प्रस्तुत किया जावेगा। शेष बचे विकासखंड सशक्तिकरण अधिकारियों को ऊषा किरण योजना तहत जिला स्तर पर स्वीकृत "प्रशासक" के पदों पर पदस्थापना की कार्यवाही की जायेगी।
उपरोक्त आदेश में कहीं भी प्रभारी पद का लेख नहीं है। म.प्र. लोक सेवा आयोग से चयनित एवं पर्यवेक्षक से पदोन्नत तकरीबन 172 विकासखंड महिला सशक्तिकरण अधिकारियों की पदस्थापना के साथ प्रभारी परियोजना अधिकारी/प्रभारी प्रशासक शब्द लगाकर उन्हें हीन होने का आभास कराया जा रहा है ? क्योंकि वह महिला सशक्तिकरण संचालनालय से आई हैं। महिला अधिकारियों के साथ किया जा रहा दोयम दर्जे का यह व्यवहार, कुंठित मानसिकता का परिचायक ही कहा जा सकता है।
प्रतीत होता है कि प्रदेश के आला अधिकारी मुख्यमंत्री कमलनाथ की सरकार को प्रभारी सरकार ही मानते हैं ? क्या अब मुख्य मंत्री, मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव के पद नाम से नहीं ? सभी प्रभारी पदनाम से सम्बोधित होंगे ? पूर्णकालिक पद समाप्त हो जायेंगे ?

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