जबलपुर(ईन्यूज एमपी)-मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन की एकलपीठ ने 3 साल पहले जारी नोटिस का अब तक जवाब पेश न किए जाने और ओआईसी को तलब किए जाने के बावजूद हाजिर न होने जैसे रवैये को आड़े हाथ लेकर राज्य शासन पर 5 हजार का जुर्माना (कॉस्ट) ठोंक दिया। साथ ही 2 सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने की अंतिम मोहलत भी दे दी। याचिकाकर्ता कटनी बड़वारा निवासी राममिलन बर्मन व जगदीश बर्मन की ओर से अधिवक्ता सुधा गौतम ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता शिक्षा विभाग में कार्यभारित आकस्मिक निधि से वेतन पाने वाले भृत्य के पद पर कार्यरत है। उनकी मांग नियमित किए जाने की है। उनका कहना है कि उसके साथ भर्ती हुए एक अन्य कर्मी को नियमित कर दिया गया था, फिर उन्हें क्यों नहीं? जिसे नियमित किया गया था, उसका निधन होने के बाद उसके बेटे को अनुकंपा नियुक्ति भी मिल गई पर याचिकाकर्ता अब तक नियमित होने की बाट जोह रहे हैं। आश्चर्य तो इस बात का है कि उनकी याचिका पर 2016 में नोटिस जारी किया गया। एकलपीठ ने ओआईसी को जवाब पेश करने या हाजिर होने कहा था, लेकिन दोनों काम नहीं किए गए। इसके बाद से लंबा समय गुजर गया लेकिन राज्य शासन व अन्य पक्षकारों का रवैया यथावत बना रहा।