जबलपुर(ईन्यूज एमपी)- सतना जिला एवं सत्र न्यायालय ने 4 साल की मासूम से दुष्कर्म के आरोपी स्कूल टीचर महेंद्र सिंह गौड़ के खिलाफ डेथ वारंट जारी कर दिया है। उसे 2 मार्च को जबलपुर के नेता जी सुभाष चंद्र बोस जेल में फांसी दी जाएगी। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 25 जनवरी को निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए फांसी की सजा पर मुहर लगाई थी। इसके बाद सतना जिला एवं सत्र न्यायालय ने 2 फरवरी को डेथ वारंट जारी कर दिया। इसमें फांसी का दिन और टाइम भी बता दिया गया है। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने 25 जनवरी को फांसी पर मुहर लगाने के साथ ही प्रदेश और देश में दुष्कर्म की बढ़ती घटनाओं पर चिंता जताई थी। उन्होंने आक्रोश जताते हुए कहा कि इस तरह की घटनाओं से बचने के सभी तरह के सुधार निष्प्रभावी हो रहे हैं। डबल बेंच ने था सुनाया फैसला कोर्ट ने कहा कि इस तरह के जघन्य अपराध के लिए कठोर सजा ही न्याय की मांग है, ताकि समाज पर इसका प्रभाव पड़ सके। इस टिप्पणी के साथ जस्टिस पीके जायसवाल एवं अंजुली पालो की खंडपीठ ने 4 साल की मासूम बच्ची से दुष्कर्म करने वाले आरोपी की फांसी पर मुहर लगाई है। शिक्षक से ऐसे घिनौने अपराध की कल्पना नहीं थी कोर्ट ने कहा कि आरोपी महेंद्र सिंह गौड़ शिक्षण जैसे पवित्र पेशे से जुड़ा है, जिसका काम देश के बच्चों में चरित्र निर्माण और नैतिकता जगाना है। एक शिक्षक से बच्चों के साथ नैतिक व्यवहार की अपेक्षा होती है। ऐसे में शिक्षक से दुष्कर्म जैसे घिनौने अपराध की कल्पना भी नहीं की जा सकती। कोर्ट ने बताया विरल से विरलतम केस कोर्ट ने कहा कि आरोपी का कृत्य विरल से विरलतम श्रेणी में आता है और अधीनस्थ अदालत ने आरोपी को उसके कृत्य की सही सजा सुनाई है। अभियोजन के अनुसार सतना के परसमानिया गांव में रहने वाले महेन्द्र सिंह गौड़ ने 30 जून और एक जुलाई के दरम्यानी रात मासूम को अगवा कर लिया था। जब वह अपने पिता के साथ सो रही थी। आरोपी ने बच्ची को खेत में ले जाकर उसके साथ ज्यादती की थी। आरोपी बच्ची को अचेत अवस्था में छोड़कर फरार हो गया। ट्रायल के दौरान बच्ची ने आरोपी को पहचाना था पुलिस ने जांच में पाया कि महेन्द्र ने ही बच्ची से दुष्कर्म किया है। डीएनए रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ था। इतना ही नहीं ट्रायल के दौरान मासूम पीडि़ता ने भी कोर्ट में आरोपी की पहचान कर अपना बयान दर्ज कराया था। ज्यादती के बाद बच्ची की हालत इतनी बिगड़ गई थी उसे दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। दिसंबर 2018 को नागौद के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने महेन्द्र को दोषी करार देते हुए उसे फांसी की सजा सुनाई थी।