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Home मध्य प्रदेश बापू को भूले जिम्मेदार, 'राजघाट' पर जड़ा रहा ताला

बापू को भूले जिम्मेदार, 'राजघाट' पर जड़ा रहा ताला

बड़वानी(ईन्यूज एमपी)- राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम पर राजनीति करने वाले प्रमुख दलों सहित सामाजिक कार्यकर्ता और जिला प्रशासन भी आज महात्मा गांधी की पुण्यतिथि के दिन उन्हें भूल गया। ज़िला मुख्यालय के समीप कुकरा बसाहट स्थित बापू के स्मारक स्थल पर सुबह 10:30 बजे तक परिसर के ताले भी नहीं खुले। भाजपा, कांग्रेस सहित बापू के स्मारक को हमेशा मुद्दा बनाने वाले नर्मदा बचाओ आंदोलन से जुड़ा कोई भी कार्यकर्ता या पदाधिकारी बापू के स्मारक स्थल पर नहीं पहुंचा। वो भी तब जब 15 साल बाद कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुई है। इसके बाद भी इस स्मारक स्थल पर सरकार का कोई नुमाइंदा नहीं पहुंचा।

दिल्ली नहीं, बड़वानी में भी था राजघाट
बड़वानी के समीप नर्मदा तट पर राजघाट में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का पवित्र भस्मकलश युक्त स्मारक 12 फरवरी 1965 से है। दर्शन करने हजारों लोग राजघाट पहुंचते हैं। सरदार सरोवर परियोजना के डूब क्षेत्र में आने की वजह से भाजपा शासन में 27 जुलाई 2017 को बापू के स्मारक को कुकरा बसाहट में विस्थापित कर दिया गया। राजघाट में बापू के स्मारक की स्थापना नर्मदा के पवित्र तट को देखकर की गई थी, लेकिन विस्थापन के बाद तो नया स्मारक नर्मदा तट से करीब चार कि मी दूर हो गया है।

कांग्रेस ने किया था प्रदर्शन
28 जुलाई को कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, तत्कालीन विधायक और वर्तमान में गृहमंत्री बाला बच्चन, वर्तमान एनवीडीए मंत्री सुरेंद्रसिंह हनी बघेल सहित प्रदेशभर के कांग्रेस के 28 विधायक बड़वानी पहुंचे थे।

इस दौरान यादव ने अस्थि कलश विस्थापन की प्रक्रिया को देश के हर व्यक्ति का अपमान बताते हुए भारी विरोध प्रदर्शन किया था। साथ ही भव्य स्मारक स्थल बनाए जाने की मांग रखी थी। नर्मदा बचाओ आंदोलन ने भी स्मारक विस्थापन का पुरजोर विरोध किया था। उल्लेखनीय है कि विस्थापन के समय तत्कालीन जिला प्रशासन ने नर्मदा तट पर भव्य स्मारक बनाने की बात कही थी।

स्मारक से जुड़ी खास बातें

-स्मारक की स्थापना के संयोजक प्रसिद्ध गांधीवादी काशीनाथ त्रिवेदी थे।


-स्मारक का संकल्प 12 फरवरी 1964 को लिया गया।

-निर्माण की शुरुआत 14 जनवरी 1965 को हुई।

-पवित्र भस्म कलश की स्थापना 30 जनवरी 1965 को की गई।

-उद्घाटन 12 फरवरी 1965 को किया गया था।

- 27 जुलाई 2017 को स्मारक राजघाट से कुकरा बसाहट में विस्थापित।

-2 अक्टूबर 2017 को नवीन स्मारक का लोकार्पण किया गया।

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