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बाघों के लिए जान की दुश्मन बन रही पेट की आग.....

बालाघाट(ईन्यूज एमपी)- बाघों के लिए पेट की आग जान की दुश्मन बन रही है। शिकार की तलाश में जंगल से बाहर निकलते ही बाघ खुद शिकार हो रहे हैं। जंगल के बाहर बाघों के लिए शिकारियों ने मौत का जाल बिछा रखा है। कान्हा-पेंच कॉरीडोर में शिकारी बाघों को निशाना बना रहे हैं।

बाघ के अंगों की तस्करी के मामले कम नहीं हैं, लेकिन तंत्र क्रिया के लिए भी इनका शिकार कम नहीं हो रहा है। एक ऐसा ही मामला हाल में सामने आया है। जिसमें वन अमले के हत्थे चढ़े आरोपितों ने तंत्र क्रिया के लिए बाघ का शिकार करना कबूला है।

लिहाजा मध्य प्रदेश में बाघों की मौत से ज्यादा संवेदनशील उनका शिकार है। जो थमता नजर नहीं आ रहा है। पिछले दो सालों में तंत्र क्रिया के लिए कान्हा-पेंच कॉरीडोर में बाघ शिकार का यह दूसरा मामला है।

नवंबर 2016 में तिरोड़ी के महकेपार में इसी तरह बाघों के शिकार का मामला सामने आया था। जिसमें एसटीएफ व वन अमले ने संयुक्त कार्रवाई कर दर्जन भर से अधिक लोगों को पकड़ा था।

साथ ही दो बाघों के शव बरामद किए थे। इस मामले में तंत्र क्रिया के लिए बाघों के शिकार की बात जांच में सामने आई थी। हाल में लौंगूर रैंज में स्थित वनग्राम कुर्थीटोला में भी बाघ शिकार मामले में वन अमले के हाथ लगे आरोपितों ने ऐसी ही बात बताई है।

तंत्र क्रिया के लिए बाघ का शिकार
तांत्रिक के अनुसार बाघ के नाखून का उपयोग नरसिंह वीर मंत्र सिद्धि के लिए किया जाता है। ज्यादातर तंत्र क्रिया से जुड़े लोग नाखून व बाघ के बालों को ही इस्तेमाल में लेते हैं।

क्या करते हैं तांत्रिक

-बाघ के बाल का इस्तेमाल दिनाई के रूप में करते हैं।

-बाघ के नाखून का उपयोग तंत्र साधना के बाद ताबीज और लॉकेट के रूप में किया जाता है।


-इसकी खाल में लोहे की पिन से चुम्बकत्व का पता लगाकर उसका झड़ती के लिए तंत्र साधना करते हैं।

-बाघ के अंगों की तस्करी कर विदेशी बाजार में भी पहुंचाया जाता है।

फोकस पॉइंट

-5 जनवरी को कुर्थीटोला में बाघ ने एक बैल का शिकार किया था।

-6 जनवरी की रात शिकारियों ने बैल के शव पर थाइमेट डालकर उसे जहरीला किया।

-इसी रात बाघ ने जहरीला मृत बैल खाया,जिससे उसकी मौत हो गई।

-नोटों की झड़ती के लालच में शिकार कर तांत्रिक क्रिया कराते रहे आरोपित।

-जब सप्ताह भर में असफल हुए तो अंगों को गाड़कर ,खाल बेचने तलाशने लगे ग्राहक।

- 15 जनवरी को इसकी भनक कान्हा नेशनल पार्क की स्पेशल टीम को लगी तो वन अमले को मिली सूचना।

- 8 दिन तक बालाघाट वन अमले ने की तफरीह,शिकारियों की तलाश।

- 24जनवरी की रात लगा संदेहियों का सुराग।

- 26 जनवरी को दो शिकारी वन अमले के हाथ लगे।

- 27 जनवरी 4 और गिरफ्तार हुए।

- तांत्रिक समेत 2 आरोपित अब भी फरार हैं।

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