भोपाल(ईन्यूज एमपी)- माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय (एमसीयू) के कुलपति पद से जगदीश उपासने के इस्तीफे के बाद अब अन्य कुछ विश्वविद्यालय के कुलपति भी सरकार के निशाने पर हैं। इनमें सबसे पहला नाम शहडोल के पंडित शंभुनाथ शुक्ल विवि के कुलपति डॉ. मुकेश तिवारी का है। सूत्रों के मुताबिक भाजपा सरकार को उनकी कई शिकायतें मिली थीं, लेकिन तिवारी पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से नजदीकी की वजह से कार्रवाई नहीं हो सकी। अब सरकार इन शिकायतों पर जांच शुरू कर उन्हें हटाने की तैयारी कर रही है। हालांकि इसके लिए उसे राजभवन से अनुमति लेनी पड़ेगी। सूत्रों के मुताबिक सरकार को तिवारी की योग्यता को लेकर कुछ शिकायत मिली थीं। बताया जाता है कि कुलपति पद के लिए दस रुपए के ग्रेड-पे की जरूरत थी, लेकिन तिवारी इस ग्रेड-पे से नीचे काम कर रहे थे। फिर भी उन्हें कुलपति बना दिया गया। इस मामले में उच्च शिक्षा विभाग ने शुरुआती जांच की है। मुकेश तिवारी संघ में भी कुछ पदों पर रह चुके हैं। इसे लेकर भी उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी से शिकायत की गई है। गौरतलब है कि कांग्रेस ने सरकार में आते ही प्रदेश के शैक्षणिक संस्थानों में हुए भगवाकरण को खत्म करने के संकेत दिए थे। इसके चलते पिछले 15 साल में खुले विवि के अलावा पारंपरिक विवि भी निशाने पर हैं। इन विवि के कुलपति भी निशाने पर विक्रम विवि उज्जैन विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एसएस पांडेय की भी संघ से नजदीकी है। हालांकि उनका कार्यकाल खत्म होने में छह महीने का समय ही बचा है। आरडीविवि जबलपुर रानी दुर्गावती विवि जबलपुर के कुलपति प्रो. कपिल देव मिश्र भी संघ के बेहद नजदीक हैं। चित्रकूट ग्रामोदय विवि में कला संकाय के डीन रह चुके हैं। उनके कार्यकाल का आखिरी साल चल रहा है।