(ईन्यूज़ एमपी)सिंगरौली- सिंगरौली जिले के सरई तहसील अंतर्गत सुरसराई घाट झारा मे 14 जनवरी मकर संक्रांति के दिन लगभग 10 से 12 दिनों का मेला का आयोजन किया जाता है मेला एक भारत की संस्कृति को प्रदर्शित करता है मेला के कारण लोग एक दूसरे से मिलते हैं और कुछ समय का आनंद व्यतीत करते हैं भारत में कई जगहों पर छोटे बड़े मेले का आयोजन मकर संक्रांति के दिन की जाती है एवं मेला कई कई दिनों तक चलता रहता है भारतीय लोगों में मेला को लेकर बहुत से उत्साह रहते हैं जिसमें मेला की तैयारियां 4 से 5 दिन पहले से होने लगता हैै यह मेला का आयोजन सरई थाना से 10 किलोमीटर दूर स्थित सुर सराई घाट झारा मे गोपद नदी के किनारे साफ स्वच्छ जगह पर होता है जिसमें काफी दूर-दूर तक लोग यहां मेला का आनंद एवं यहां की धार्मिक परंपरा रीति-रिवाज को देखने के लिए आते हैं यह मेला लगभग 1965 से लेकर आज तक चली आ रही है जिसमें यह मेला की शुरुआत सुरसराई घाट झारा रेलवे स्टेशन से शुरू किया गया था और इसको फिर गोपद नदी के किनारे स्थापित किया गया बुजुर्गों के द्वारा बताया जा रहा है कि यह मेला का शुरुआत 1965 में लगभग उस समय के माने जाने वाले लोग राम मनोहर जयसवाल , मनदेव प्रजापति एवं अन्य कई लोगों ने मिलकर शुरुआत की। मकर संक्रांति के मेले में झूले एवं गन्ने होते हैं आकर्षण मेले में आने के बाद यहां लोग झूला झूल कर आनंद उठाते हैं एवं गन्ने की मेला में बहुत बड़ी महत्त्व होती है यहां इस मेले में धार्मिक मान्यता यह है कि इस जगह पर उपस्थित एक मंदिर है जिसमें भगवान शंकर जी का वास होता है यहां गोपत नदी में एक बार काफी बाढ आया जिससे यहां आस-पास के उपस्थित सभी पेड़ पौधे नष्ट हो गए एवं मंदिर ढह गया लेकिन मूर्ति वही की वही स्थापित रहा तब से यहां मंदिर में पूजा अर्चना होती है यहां वर्ष भर करते हैं लोग इंतजार यह मेला का आयोजन साल में एक बार मकर संक्रांति के दिन होता है जिसमें यहां काफी दूर-दूर से लोग आते हैं और इस मकर संक्रांति का इंतजार करते हैं यहां पर काफी जनसंख्या के रूप में लोग उपस्थित होते हैं लगती थी साइकिल की प्रदर्शनी यहां पहले मेला में साइकिल प्रदर्शनी होता था जिसमें पहला एवं दूसरे स्थान पर आने वाले को इनाम के द्वारा प्रोत्साहित कर उसके मनोबल को आगे बढ़ाया जाता था। मनोरंजन के साधन इस मेला में मुख्य रूप से झूला एवं जादूगर एवं नाच गाने का आयोजन होता है जिसमें कुछ चार्जर देकर मनोरंजन किया जाता है। उपेक्षित है यह स्थान मकर संक्रांति के मेले के लिए यह स्थान चुन कर रखा गया है यहां हर वर्ष मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें यह स्थान निश्चित तय होता है।