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नई दिल्ली। सरकारी विज्ञापन में मानदंडों के उल्लंघन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जबाव मांगा

नई दिल्ली। सरकारी विज्ञापन में मानदंडों के उल्लंघन को लेकर दायर की गई एक याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और तमिलनाडु सरकार को नोटिस भेजकर चार हफ्ते में जबाव मांगा है। अदालत ने सरकार से पूछा है कि सरकारी विज्ञापन संबंधी गाइडलाइन को लागू कराने के लिए अब तक तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया है या नहीं। मशहूर वकील प्रशांत भूषण ने याचिका दाखिल कर कहा था कि दिल्ली सरकार और तमिलनाडु सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना कर रही है।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 13 मई को सरकारी विज्ञापनों को लेकर एक बड़ा फैसला दिया था। अदालत के इस आदेश के तहत सरकारी विज्ञापनों पर अब नेताओं की तस्वीर नहीं लगेंगी। विज्ञापनों के नियमन के लिए सरकार से तीन सदस्यीय कमेटी बनाने के लिए कहा गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकारी विज्ञापनों में मुख्यमंत्री, मंत्री, गवर्नर समेत किसी नेता की तस्वीर नहीं लगा सकते। इन विज्ञापनों पर केवल प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और सीजेआई की तस्वीर लग सकती है। विज्ञापनों में इन तीनों की तस्वीर तभी लगाई जा सकती है, जब वे खुद इसकी जवाबदेही लेंगे। कोर्ट ने यह भी कहा कि विज्ञापनों में तस्वीर लगाने से पहले प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और सीजीआई की मंजूरी लेनी होगी। गाइडलाइंस को अमल में लाने के लिए केंद्र कमिटी बनाएं।

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