भोपाल (ईन्यूज एमपी)- कमलनाथ मंत्रिमंडल के मंत्रियों की परीक्षा लोकसभा चुनाव में होने वाली है। वरिष्ठता और कनिष्ठता का भेद किए बिना मंत्री बनाने के बाद पार्टी अब लोकसभा चुनाव में पार्टी के क्षेत्रीय प्रत्याशी को मिलने वाली हार-जीत से उनका दमखम (क्षमता) तय करने का विचार कर रही है। दिग्गजों की सीटों को छोड़कर अन्य सीटों पर मंत्रियों को जिम्मेदारी देने की तैयारी है। मध्य प्रदेश में 15 साल बाद कांग्रेस सत्ता में लौटी है और अब उसकी नजरें लोकसभा चुनाव पर हैं। विधानसभा चुनाव के नतीजों को देखें तो कांग्रेस मुरैना, भिंड, ग्वालियर, गुना, दमोह, बालाघाट, मंडला, छिंदवाड़ा, राजगढ़, उज्जैन, रतलाम, धार, खरगोन, खंडवा लोकसभा क्षेत्रों में ही भाजपा के मुकाबले ज्यादा विधानसभा सीटें जीत सकी है, जबकि भाजपा ने सागर, टीकमगढ़, खजुराहो, सतना, रीवा, सीधी, होशंगाबाद, विदिशा, भोपाल, मंदसौर लोकसभा सीटों में कांग्रेस से ज्यादा विधानसभा सीटें जीती हैं। वहीं शहडोल, जबलपुर, देवास, इंदौर और बैतूल सीटों पर दोनों ही पार्टियों ने चार-चार विधानसभा सीटें जीती हैं। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस लोकसभा चुनाव में 24 सीटों का लक्ष्य लेकर रणनीति तैयार करने में जुटी है। इसके लिए मंत्रियों को भी लोकसभा सीट जिताने की रणनीति बनाए जाने पर विचार मंथन शुरू हुआ है। उनकी क्षमता को लोकसभा चुनाव में दी जाने वाली सीट की हार-जीत से जोड़े जाने की तैयारी है। हालांकि इसको लेकर संगठन स्तर पर पदाधिकारी चुप्पी साधे हैं। गौरतलब है कि इस तरह की रणनीति भाजपा सरकार भी हर चुनाव में अपनाती रही है। भाजपा के प्रभाव वाले क्षेत्र पर जोर सूत्रों का कहना है कि सागर, टीकमगढ़ और दमोह सीटों के लिए मंत्री गोविंद सिंह राजपूत, बृजेंद्र सिंह राठौर, हर्ष यादव को जिम्मेदारी मिलने की संभावना है। वहीं जबलपुर में लखन घनघोरिया, मंडला में ओंकार सिंह मरकाम, विदिशा में डॉ. प्रभूराम चौधरी, भोपाल में पीसी शर्मा व आरिफ अकील, देवास में सज्जन सिंह वर्मा, धार में उमंग सिंघार, बैतूल में सुखदेव पांसे, खरगोन व खंडवा में डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ व सचिन यादव तो इंदौर में दोनों मंत्री तुलसीराम सिलावट व जीतू पटवारी को लोकसभा चुनाव जिताने का जिम्मा सौंपने पर विचार चल रहा है।