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अब 3 साल में एक बार बढ़ेंगे प्रापर्टी के दाम.....

भोपाल (ईन्यूज एमपी)। कांग्रेस की सरकार बनते ही प्रापर्टी की रजिस्ट्री के लिए कलेक्टर गाइडलाइन में दाम तय होने का शोर अब तीन साल में एक बार सुनाई देगा। किसी न किसी बहाने से प्रापर्टी के दाम लगातार बढ़ाने की कवायद पर अब ब्रेक लग जाएगा।

दरअसल, भारतीय स्टांप अधिनियम 1899 एवं पंजीकरण अधिनियम 1908 के प्रावधान के अनुसार तीन साल में एक बार कलेक्टर गाइडलाइन बनाने का प्रावधान है, लेकिन इसे अब तक लागू नहीं किया गया था। अब नई सरकार ने अपने वचन पत्र के अनुसार तीन साल में एक बार गाइडलाइन बनाने का निर्णय लिया है। इसके लिए उन्होंने महानिरीक्षक पंजीयन से इस संबंध में प्रस्ताव भी मांगा है। गुरुवार को यह प्रस्ताव बनाकर भेज दिया गया है। जिस पर जल्द ही अमल किया जा सकता है। इस कवायद से प्रदेशवासियों को फायदा मिलेगा। उन्हें प्रापर्टी की रजिस्ट्री कराने के लिए हर साल बड़े हुए दाम का डर नहीं सताएगा।

1996 में तीन साल तक नहीं बढ़े थे दाम

इस तरह की स्थिति 1996 में भी निर्मित हुई थी, जब हाईकोर्ट के एक आदेश पर कलेक्टर गाइडलाइन को समाप्त कर संदर्भ सूची के नाम पर कुछ नियम बनाए गए थे। जिसके चलते तीन साल तक बिना दाम बढ़ाए ही रजिस्ट्रियां की गई थीं। वहीं 2003 और 2004 में उप चुनाव के चलते भी कलेक्टर गाइडलाइन बनाने की तिथि बढ़ाई गई थी। लोकसभा चुनाव के चलते इस साल भी इसी तरह की स्थिति निर्मित हो रही है। लिहाजा, एक माह का अतिरिक्त समय बढ़ाने के लिए आदेश जारी किए जा सकते हैं।

15 मार्च से पहले तय करने होंगे दाम

इधर, महानिरीक्षक पंजीयन दफ्तर से अब तक दो सर्कुलर जारी किए जा चुके हैं। सभी जिला कलेक्टरों को इसमें निर्देशित किया गया है कि वे अपने स्तर पर कलेक्टर गाइडलाइन का काम शुरू कर दें। इसके बाद जनवरी में महानिरीक्षक कार्यालय से जमीन की ऐसी लोकेशन, जहां दाम बढ़ने की उम्मीद है, उसका मिलान संपदा सॉफ्टवेयर द्वारा तैयार की गई दामों की सूची से किया जाएगा। इस बार 15 मार्च से पहले कलेक्टर गाइडलाइन में दाम तय नहीं किए गए तो लोकसभा चुनाव के चलते एक से डेढ़ माह तक का अतिरिक्त समय बढ़ाया जाएगा।

नहीं बढ़ेंगे प्रापर्टी के दाम

इधर, सूत्रों का कहना है कि नई सरकार इस बार प्रापर्टी के दाम में ज्यादा फेरबदल करने के मूड में नहीं है। लिहाजा इस बार कलेक्टर गाइडलाइन के नियमों के अनुसार पालन तो किया जाएगा, लेकिन दाम नहीं बढ़ाए जाएंगे। इसके पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि पहले से ही कलेक्टर गाइडलाइन में प्रापर्टी के दाम काफी बढ़े हुए हैं। इससे प्रापर्टी की खरीद-फरोख्त में कमी आई है।

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