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जेल में महिला कैदी सीख रहीं गाड़ी सुधारने का हुनर....

इंदौर(ईन्यूज एमपी)- इंदौर जिला जेल प्रबंधन ने जेल में गाड़ियां सुधारने की नई पाठशाला की शुरुआत की है। विचाराधीन और सजायाफ्ता महिला कैदियों के साथ विदेशी महिला बंदी दो पहिया गाड़ियों की मैकेनिक बनने की ट्रेनिंग ले रही है। दो महीने के इस कोर्स के समाप्त होने के बाद परीक्षा भी होगी। प्रबंधन पास होने वालों को प्रमाण पत्र देने के साथ नौकरी दिलाने का भी प्रयास करेगा। इसके पहले जेल में महिला बंदियों के लिए ब्लॉक प्रिंटिंग, बेकरी आइटम निर्माण संबंधी प्रशिक्षण दे चुके हैं। महिला कैदी दिल्ली में लगे हैंडीक्राफ्ट मेले में 25 हजार का सामान बनाकर बेच भी चुकी हैं।

आमतौर पर जेल में कैदियों को उनके अपराध का पश्चाताप कराने के लिए रखा जाता है। लेकिन इंदौर की जेल में कैदियों को उनकी सजा के साथ प्रशिक्षण देकर भविष्य उज्जवल बनाने का प्रयास किया जा रहा है। महिला बैरक में पिछले दो दिन से दो और चार पहिया वाहन सुधारने की क्लास चल रही है। दो घंटे की ट्रेनिंग सेशन में 20 महिला कैदी मैकेनिक बनने का प्रशिक्षण ले रही हैं।

जिससे वे सजा पूरी होने के बाद अपने पैरों पर खड़ा हो सकें। इन कैदियों में ज्यादातर हत्या, अपहरण, हत्या का प्रयास, डकैती और लूट जैसे गंभीर अपराध में शामिल आरोपित हैं। खास बात यह है कि मैकेनिक बनने का प्रशिक्षण एक बांगलादेशी महिला कैदी के साथ प्रतिष्ठित अखबार के पत्रकार को आत्महत्या के लिए उकसाने के जुर्म सजा काट रही महिला बंदी भी ले रही है। इन 20 महिला कैदियों में आठ को कोर्ट ने सजा सुनाई है, जबकि 12 का कोर्ट में ट्रायल चल रहा है।

तीन घंटे दे रहे ट्रेनिंग

जेल अधीक्षक अदिति चतुर्वेदी ने बताया कि प्रशिक्षण कार्यक्रम दो अलग-अलग एनजीओ के माध्यम से शुरू किया गया है। मैकेनिक की ट्रेनिंग के पहले कैदियों को कैंडल मेकिंग कोर्स करवाया गया था। दो महीने तक चलने वाले ऑटोमोबाइल ट्रेनिंग कोर्स में प्रतिदिन तीन घंटे गाड़ियां सुधारने की ट्रेनिंग दी जा रही है। इस कोर्स के पहले बंदियों को ब्लॉक प्रिंटिंग सिखाई गई थी। इस काम में दस महिला कैदी पूरी तरह प्रशिक्षित हो गई हैं। उन्होंने साड़ी, सलवार सूट, सोफा कवर और बेडशीट बनाना सीख लिया है। हाल ही में दिल्ली में देशभर की सभी जेलों का प्रेजेंटेशन हुआ था। इसमें हमारी जेल की महिला कैदियों ने भी अपने हाथों से बनाई हुई साड़ियों सहित अन्य सामान बेचने के लिए रखा था। एक दिन के मेले में 25 हजार से ज्यादा का सामान बिक गया था।

खुली जेल में रह रहे सभी पुरुष कैदी करने लगे नौकरी

अधीक्षक ने बताया कि सरकार की योजना के तहत कुछ महीने पहले जिला जेल में खुली जेल की शुरुआत की गई थी। जेल में दस कुटिया तैयार की गई थीं। इनमें आठ कैदियों ने परिवार के साथ रहने की सहमति जताई थी। इनमें से एक कैदी कंस्ट्रक्शन कंपनी में प्लम्बर है। एक जेल के बाहर चाय नाश्ते की दुकान लगाता है। वहीं तीन कैदी मैकेनिक की दुकान पर काम करते हैं तो एक निगम की गाड़ी चलाता है। एक बंदी पीडब्ल्यूडी विभाग में काम करता है। एक कैदी पुताई और मजदूरी करता है।

जेल में बन रहा बेकरी आइटम बिकेगा शहर में

अधीक्षक ने बताया कि जेल में पुरुष कैदी बेकरी चला रहे हैं। लाइसेंस नहीं मिलने से बेकरी का आइटम शहर में नहीं बिक पा रहा है। फूड विभाग से बेकरी के सामान की जांच और लाइसेंस मिलने के बाद सामग्री बाहर बेची जाएगी।

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