पीएम नरेंद्र मोदी के यूएई दौरे का आज दूसरा दिन है, वे दुबई में भारतीयों से मिलेंगे | मिशन दाऊद पर मोदीः UAE में अंडरवर्ल्ड डॉन की प्रॉपर्टी सीज कराने की कोशिशः सेदर को कहा जाता है- सिटी ऑफ फ्यूचर 17 किमी के दायरे में फैले मैसेदर को सिटी ऑफ फ्यूचर कहा जाता है। अभी इस शहर को नए तरीके से सजाने का काम चल रहा है। इस शहर में जीरो पॉल्यूशन का टारगेट रखा गया है। इसलिए इसका नाम भी जीरो कार्बन सिटी रखा गया है। 2025 तक जीरो कार्बन (यानी जीरो पॉल्यूशन) का टारगेट पूरा कर लिया जाएगा। शहर में पेट्रोल-डीजल से चलने वाली व्हीकल्स की इजाजत नहीं है। शहर के अंदर सभी व्हीकल बिजली या बैट्री से चलती हैं। - यह प्रोजेक्ट 2006 में शुरू हुआ था। इस सिटी आॅफ फ्यूचर पर 22 अरब डॉलर खर्च किए जा रहे हैं। - इंटेलिजेंट बिजनेस डिजाइन : सारी बिल्डिंग्स में इलेक्ट्रिसिटी सोलर एनर्जी से ही दी जाएगी। बिल्डिंग्स ऐसे बनाई जाएंगी जिनमें इलेक्ट्रिसिटी और वाॅटर कंजम्प्शन 40% तक कम हो जाए। - पैदल चलने पर जोर : इस सिटी के अंदर रहने वाले लोगों को पैदल चलने के लिए एनकरेज किया जाएगा। - भारत में बीआरटीएस, यूएई में पीआरटीएस : भारत के कई शहरों में जहां बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (बीआरटीएस) काम करता है, वहीं यूएई की मैसेदर सिटी में पर्सनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (पीआरटीएस) बनाया जा रहा है। यह जीरो कार्बन ट्रांसपोर्ट सिस्टम होगा। ड्राइवरलेस व्हीकल्स होंगे, जो वर्चुअल सॉफ्टवेयर पर काम करेंगे और पूरी तरह सेफ होंगे।प्वाइंट टु प्वाइंट रैपिड ट्रांजिट सिस्टम होगा। पार्किंग भी इस तरह की होगी जिससे बैटरी कंजम्प्शन कम हो। पीआरटीएस में व्हीकल लीथियम बैटरी से चलेंगे। इनमें मैग्नेट लगे होंगे जिससे व्हीकल फ्लोर पर चिपककर चलेंगे।