रायपुर(ईन्यूज एमपी)- प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनते ही जन घोषणा पत्र के अनुसार पुलिस विभाग ने प्रदेश में पुलिस सुधार के लिए कवायद शुरू कर दी है। पुलिस मुख्यालय से गुरुवार को एक पत्र सभी स्पेशल डीजी और एडीजी को जारी किया गया। पत्र में कहा गया है कि पुलिस सुधार से संबंधित घोषणा के क्रियान्वयन के लिए प्रस्तुतिकरण तैयार किया जाना है, लिहाजा संबंधित जानकारी लौटती डाक से शाम तक मुख्यालय को भेजना सुनिश्चित करें। मिली जानकारी के मुताबिक सहायक पुलिस महानिदेशक योजना प्रशासन/सीसीटीएनएस संजय शर्मा की ओर से सभी स्पेशल डीजी और एडीजी को जारी पत्र में अफसरों को अधीनस्थ विभाग, शाखाओं से संलग्न प्रपत्र के संबंधित बिंदुओं के अनुसार तथ्यपरक जानकारी हार्ड एवं साफ्ट कॉपी में मांगी गई है। पुलिसकर्मियों को यह मिलेगा लाभ तृतीय, चतुर्थ वर्ग के पुलिस कर्मियों को आवास, उनके बच्चों की शिक्षा के लिए पुलिस कल्याण कोष से सहायता, मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा, नक्सली हमले में शहीद पुलिस कर्मियों के परिजनों को दी जाने वाली सहायता राशि में बढ़ोतरी, सप्ताह में एक दिन का अवकाश, नियमित समय पर पदोन्नाति और वेतन बढ़ोतरी, साइकिल की जगह पेट्रोल और किट भत्ता, सुरक्षा के लिए नामांकित पुलिस कर्मियों को चतुर्थ श्रेणी पुलिस कर्मियों को कामकाज से मुक्ति, महिला थाना द्वारा संबंधित मामलों में स्वतंत्र जांच और लॉ एंन आर्डर के लिए अलग से थाने की स्थापना, हर जिले में विकसित फोरेंसिक लैब और फोरेंसिक स्टडी को विश्वविद्यालयों में अलग विषय के रूप में शामिल करने का लाभ मिल सकता है। आंदोलन को कुचलना भारी पड़ा वेतन भत्ते और वीकली ऑफ की मांग को लेकर लंबे समय से पुलिस परिवार आंदोलित है। इसी साल जुलाई में पुलिस परिवार ने अपनी लंबित मांगों को लेकर प्रदेश व्यापी आंदोलन किया था। इस आंदोलन को भाजपा सरकार ने सख्ती के साथ कुचलने की कोशिश की थी। इसके विपरीत परिवार के लोगों ने धरना स्थल पर पहुंचने में जमकर उत्साह दिखाया था। आंदोलन से जुड़े पुलिस कर्मियों की रायपुर समेत अन्य जिलों में धरपकड़ करने के साथ उनकी बर्खास्तगी की गई थी। इसे लेकर पुलिस परिवार में भारी आक्रोश था। चुनाव में इसका खामियाजा भी भाजपा को भुगतना पड़ा। उस दौरान कांग्रेस ने पुलिस परिवार की मांग को जायज बताते हुए आश्वस्त किया था कि अगर प्रदेश में उनकी सरकार बनी तो वे प्रमुखता से पुलिस सुधार की दिशा में सार्थक पहल करेंगे। कांग्रेस ने बाकायदा जन घोषणा पत्र में इसे शामिल किया था। पंद्रह साल बाद कांग्रेस की सत्ता पर वापसी होने के साथ ही एक-एक घोषणा पर कार्यवाही शुरू हो गई है। भाजपा सरकार ने नहीं दिया मांगों पर ध्यान पुलिस परिवारों के आंदोलन से महकमे में हड़कंप मचा रहा। आनन-फानन में प्रदेश भर के जिलों से इंटरनल रिपोर्ट पुलिस मुख्यालय ने मंगाई थी। इस रिपोर्ट में आंदोलन में भूमिका निभाने वाले तीन हजार से अधिक जवानों को सूचीबद्ध कर उन पर कार्रवाई करने की तैयारी की गई, लेकिन आक्रोश फैलने की आशंका को ध्यान में रखकर कोई कार्रवाई नहीं की गई। सूत्रों का दावा है कि विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर मुख्यालय स्तर पर जवानों के हित में प्रस्ताव तैयार किया गया था, लेकिन सरकार ने मांगों पर ध्यान नहीं दिया।