जबलपुर(ईन्यूज एमपी)-हाईकोर्ट के जस्टिस अतुल श्रीधरन ने आदिवासी कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव अशोक शाह पर 10 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। दरअसल उन्हें कोर्ट ने पर्याप्त समय दिया इसके बाद भी उन्होंने जवाब पेश नहीं किया। कोर्ट ने यह राशि याचिकाकर्ता के अधिवक्ता को दिए जाने के निर्देश दिए हैं। गोटेगांव निवासी कृष्णा बाई मुड़िया की वर्ष 1993 में सहायक अध्यापक के पद पर गोटेगांव में नियुक्ति हुई थी। उसे नियुक्ति-पत्र भी जारी कर दिया गया था। इसी दौरान किसी ने शिकायत कर दी कि याचिकाकर्ता अनुसूचित जनजाति की नहीं है। इसके बाद उसे नियुक्ति नहीं दी गई। इस मामले को लेकर उसने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी जिसमें पूर्व में हाईकोर्ट ने दो बार निर्देश दिए थे कि हाई पॉवर कमेटी यह तय करे कि याचिकाकर्ता मुड़िया जाति की है या नहीं, लेकिन हाई पॉवर कमेटी ने जाति नहीं तय की। नरसिंहपुर कलेक्टर ने इस मामले में निर्णय दिया कि याचिकाकर्ता मुड़िया जाति की नहीं है। इस मामले में फिर से याचिका दायर की गई। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता ब्रह्मानंद पांडे ने तर्क दिया कि जाति के संबंध में फैसला करने का अधिकार केवल हाई पॉवर कमेटी को है। कलेक्टर किसी की जाति के संबंध में फैसला नहीं कर सकते हैं। इस मामले में हाईकोर्ट की एकल पीठ ने आदिवासी कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव को जवाब पेश करने के लिए निर्देश दिए थे, लेकिन जवाब पेश नहीं किया गया। 16 नवंबर 2018 को एकल पीठ ने आवश्यक रूप से जवाब पेश करने का निर्देश दिया था, लेकिन गुरुवार को उनकी ओर से जवाब पेश नहीं किया गया। एकल पीठ ने जवाब पेश नहीं करने को गंभीरता से लेते हुए आदिवासी कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव पर 10 हजार रुपए कॉस्ट लगाई है।