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Home मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का फरमान- प्रदेश को नुकसानदेह पॉलीथिन कैरी बैग, फ्लैक्स से मुक्त करे सरकार....

हाईकोर्ट का फरमान- प्रदेश को नुकसानदेह पॉलीथिन कैरी बैग, फ्लैक्स से मुक्त करे सरकार....

बिलासपुर(ईन्यूज एमपी)- हाईकोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार प्रदेश को नुकसानदेह पॉलीथिन कैरी बैग, फ्लैक्स आदि से मुक्त करने की दिशा में प्रयास जारी रखे। हाईकोर्ट के निर्देश के बाद प्रदेश की प्रत्येक पंचायतों और नगरीय निकायों में कमेटी गठित करने की जानकारी देने के बाद जनहित याचिका निराकृत कर दी गई है।



पर्यावरण से जुड़े गंभीर मुद्दा उठाने के लिए हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता नितिन सिंघवी की सराहना की है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश का पालन सुनिश्चित करवाने के लिए प्रत्येक पंचायतों, नगरीय निकायों में कमेटी गठित कर 6 सप्ताह में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे।



राज्य शासन ने 1 जनवरी 2015 को पॉलीथिन कैरी बैग के निर्माण, विक्रय, उपयोग व परिवहन पर प्रतिबंध लगा दिया था। कुछ दिनों तक बाजार में ऐसे कैरी बैग मिलने बंद हो गए। कुछ कार्रवाई भी की गई, लेकिन कुछ दिनों बाद सब पहले जैसा हो गया। अब हर दुकान पर खुलेआम ऐसे कैरी बैग का उपयोग किया जा रहा है। इसी तरह 27 सितंबर 2017 को अल्प आयु पीवीसी से बने विज्ञापन व प्रचार सामग्री, फ्लेक्स, होर्डिंग, कप- प्लेट आदि पर प्रतिबंध लगाया गया, लेकिन अब भी जगह-जगह इसका उपयोग देखा जा सकता है।



आदेश का पालन नहीं होने पर रायपुर में रहने वाले नितिन सिंघवी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई है। इस पर समय- समय पर हाईकोर्ट ने दिशा- निर्देश जारी किए, लेकिन जमीनी स्तर पर प्रतिबंध का आदेश बेअसर है। चीफ जस्टिस अजय कुमार त्रिपाठी और जस्टिस पीपी साहू की बेंच ने 28 अगस्त को मामले पर सुनवाई के बाद राज्य सरकार को आदेश का पालन सुनिश्चित करवाने के लिए प्रत्येक पंचायतों, नगरीय निकायों में कमेटी बनाकर 6 सप्ताह में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे।



हाईकोर्ट ने कहा था कि अन्य जिम्मेदारियों में व्यस्तता की वजह से संबंधित जिलों के कलेक्टर कमेटी के मेंबर नहीं होंगे। राज्य सरकार की तरफ से आदेश के परिपालन में पंचायतों और नगरीय निकायों में समितियों के गठन की जानकारी देने के बाद जनहित याचिका निराकृत कर दी गई है।



प्रतिबंध पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के प्रावधानों के मुताबिक छत्तीसगढ़ में 1 जनवरी 2015 से प्लास्टिक कैरी बैग के निर्माण, भंडारण, आयात विक्रय तथा परिवहन पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया गया है। पर्यावरण संरक्षण अधिनियम में प्रावधान है कि उसके नियमों का उल्लंघन करने पर आरोपी के खिलाफ एफआईआर के बगैर ही सीधे कोर्ट में मामला प्रस्तुत किया जाएगा।



दोषी पाए जाने पर आरोपी को 3 से 5 वर्ष की कैद, 1 लाख रुपए की पेनाल्टी या दोनों लगाया जा सकता है। दूसरी बार गलती होने पर 7 साल की सजा का प्रावधान है। जुर्माना लगाने का अधिकार सिर्फ कोर्ट को प्राप्त है। कोर्ट में मामला प्रस्तुत करने पर आरोपी को जमानत भी नहीं मिल सकेगी। न्यायालय में प्रकरण प्रस्तुत करने का अधिकार कलेक्टर, एसडीएम और पर्यावरण संरक्षण मंडल के क्षेत्रीय अधिकारी को प्राप्त है।

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