इंदौर(ईन्यूज एमपी)- एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों के लिए अब निजी प्रैक्टिस करना और प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों को देखना आसान नहीं होगा। उन्हें इसके लिए डीन से लिखित अनुमति लेना होगी। हर मरीज का हिसाब भी कॉलेज को देना होगा। अपर मुख्य सचिव (एसीएस) के इस निर्देश के बाद कॉलेज प्रबंधन उन डॉक्टरों की सूची तैयार कर रहा है जो निजी अस्पतालों में मरीज देखते हैं। हाल ही में एमवायएच के एक डॉक्टर द्वारा ड्यूटी समय में निजी अस्पताल में मरीज का ऑपरेशन करने की शिकायत के बाद चिकित्सा शिक्षा विभाग सख्त है। एसीएस राधेश्याम जुलानिया ने प्रदेश के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों के डीन को निर्देश दिए हैं कि वे डॉक्टरों की निजी प्रैक्टिस पर लगाम कसें। जो डॉक्टर नॉन प्रैक्टिस अलाउंस (एनपीए) लेते हैं, वे किसी हालत में प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं कर सकेंगे। एनपीए नहीं लेने वाले डॉक्टर ड्यूटी समय के बाद निजी अस्पताल या क्लिनिक पर मरीज तो देख सकेंगे लेकिन उन्हें हर मरीज की जानकारी मेडिकल कॉलेज प्रबंधन को देना होगी। कॉलेज प्रबंधन ऐसे सभी डॉक्टरों की सूची तैयार कर रहा है। पहले चरण में उन डॉक्टरों पर कार्रवाई होगी जो एनपीए लेने के बावजूद प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहे हैं। मेडिकल कॉलेज ने इस संबंध में सभी विभागाध्यक्षों को जानकारी दे दी है। कमेटी ने दोनों पक्षों के लिए बयान ड्यूटी समय में प्राइवेट अस्पताल में ऑपरेशन करने के एक मामले में बुधवार को स्वास्थ्य विभाग की कमेटी ने शिकायतकर्ता और डॉक्टर के बयान दर्ज किए। डॉक्टर ने आरोपों को गलत बताया जबकि शिकायतकर्ता का कहना है कि उसके पास दस्तावेज हैं। देवास निवासी शंभूदयाल अग्रवाल ने एमवायएच के डॉक्टर आरिफ अहमद अंसारी के खिलाफ शिकायत की है। उनका कहना है कि डॉक्टर ने निजी अस्पताल में ड्यूटी समय में ऑपरेशन किया। ऑपरेशन में लापरवाही की वजह से उनकी बेटी की जान पर बन आई थी। शिकायत पर कार्रवाई करते हुए स्वास्थ्य विभाग ने तीन सदस्यीय समिति बनाई है जो मामले की जांच कर रिपोर्ट तैयार करेगी। कमेटी के सदस्य डॉ.अमित मालाकार ने बताया कि संभवतः इसी सप्ताह रिपोर्ट सौंप दी जाएगी।