भोपाल(ईन्यूज़ एमपी) प्रदेशभर में 23 हजार रोजगार सहायक कार्यरत हैं, ये ग्राम रोजगार सहायक एक संघ के नीचे लगातार अपनी मांगों को लेकर प्रयासरत रहे हैं जिनका इन्हें भी कहीं न कही फायदा जरूर मिला है। लेकिन इसी बीच कुछ कारणों से इस संगठन में लगातार दरारें आ रही है। जो रोजगार सहायकों के लिए अच्छी खबर नहीं है। अगर सूत्रों की बात माने तो प्रदेश का रोजगार सहायकों का जो संगठन है उसमें गुटबाजी की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।जो कुछ दिनों से खुलकर सामने आने लगी है। कुछ जिलों के रोजगार सहायक संघ के अध्यक्ष जहां रोजगार सहायक प्रदेश अध्यक्ष रोशन सिंह परमार के गुट का खुला समर्थन करते हैं, वहीं कुछ दूसरे गुट वाले अध्यक्ष का विरोध करते हुए प्रदेश उपाध्यक्ष का खुला समर्थन करते नजर आते हैं। इस तरह की गुटबाजी से किसको कितना फायदा होगा यह तो पता नही लेकिन इसका खामियाजा सीधे तौर पर प्रदेश के सभी रोजगार सहायकों को भुगतना पड़ेगा। इस गुटबाजी के कारण जहां संगठन विभक्त होने की कगार पर है वहीं दूसरी ओर जो आवाज पहले सरकार के खिलाफ एक साथ उठती रही हैं उन्हें भी तगड़ा झटका लगेगा और अपनी मांगों को सरकार तक पहुंचाने में इन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।