भोपाल(ईन्यूज एमपी)- कभी मध्य प्रदेश की सड़कों को अमेरिका की सड़कों से बेहतर बताने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सूबे के लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के सामने सड़क और पुल बनाने वाले ठेकेदारों का टोटा पड़ने लगा है। कई मर्तबा टेंडर बुलाने के बावजूद ठेकेदार काम में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। हरदा जिले की एक सड़क के लिए विभाग को 31 बार टेंडर बुलाने पड़े। विभाग में करीब डेढ़ से दो अरब रुपए के भुगतान अटके पड़े हैं। बालाघाट, होशंगाबाद, टीकमगढ़ और श्योपुर सहित कुछ और जिले हैं जहां ठेकेदार नहीं मिल रहे हैं। विभाग इसके पीछे तकनीकी और स्थानीय समस्याएं बता रहा है लेकिन आर्थिक संकट भी मुख्य वजह बताई जा रही है। लोनिवि ने अभी 44 पुलों के लिए चौथी बार टेंडर बुलाए हैं। लोनिवि में भुगतान अटकने के चलते ठेकेदार नए काम में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। इससे मप्र में चुनाव तक सड़कों को चकाचक करने संबंधी सरकार के संकल्प पर आशंका गहरा गई है। पड़ोसी राज्य गुजरात के ठेकेदार भी पीछे हटने लगे हैं। कई जिलों में विभाग को बार-बार निविदा बुलानी पड़ रही है। पुलों के मामले में भी कमोबेश यही स्थिति बन रही है। हरदा जिले में मसनगांव से हंडिया के बीच की सड़क बनाने के लिए विभाग को 31 बार टेंडर निकालने पड़े, तब जाकर ठेकेदार मिला। कुछ जिले ऐसे हैं जहां एक काम के लिए 5-7 एवं 10-11 बार भी टेंडर बुलाए जा चुके हैं। 44 पुलों के लिए चौथी बार टेंडर विभागीय अफसरों का कहना है कि बालाघाट में नक्सल गतिविधियां इसके लिए जिम्मेदार हैं। हरदा-होशंगाबाद जैसे जिलों में लंबी दूरी से निर्माण सामग्री जुटाना महंगा सौदा है। इसके अलावा टेंडर की दरें नहीं मिलना भी एक वजह है। हालत यह है कि विदिशा, होशंगाबाद, ग्वालियर, इंदौर और जबलपुर जैसे जिलों में भी पुलों के लिए बार-बार टेंडर निकालना पड़ रहे हैं। लोनिवि ने 31 अगस्त को प्रदेश के 10 जिलों में 44 पुलों के लिए 1200 करोड़ रुपए से अधिक के टेंडर चौथी बार बुलाए हैं। इनके अलावा रायसेन, उज्जैन, सागर, रीवा, सिवनी, छिंदवाड़ा, दमोह, देवास, रतलाम और सतना जैसे जिलों में भी कमोबेश यही हालात बन रहे हैं।