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कसौटी पर परखो तो 90 फीसदी आवास अधूरे,लेकिन कागजो में पूरे....

श्योपुर(ईन्यूज एमपी)- प्रधानमंत्री आवास और स्वच्छता अभियान के शौचालय निर्माण में जिला व जनपद पंचायतों के अफसरों ने अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है। इसके बाद भी आवास निर्माण में ऐसी धांधली हो रही है जिसे देख गुस्सा और हंसी दोनों आते हैं। जल्दी टारगेट पूरा करने के फेर में पंचायत व जनपद पंचायतों के कर्ता-धर्ता हितग्राही व आवास के साथ फोटो व सेल्फी लेकर अधूरे आवासों को पूरा बता रहे हैं।

उदाहरण ऐसे समझिए कि, विजयपुर जनपद की अगरा ग्राम पंचायत में केदार आदिवासी को पीएम आवास मिला है। जनपद के रिकार्ड में इसका आवास पूरा हो चुका है। सरकारी रिकार्ड में जो फोटो है वह केदार के घर के बाहर का है। फोटो में घर के मेन फेस की गुलाबी रंग से पुताई हो चुकी है। मुख्य दरवाजे के पास हितग्राही का नाम लिखा है।

खिड़की-दरवाजों पर रंग रोगन देखकर आवास एक-दम चकाचक नजर आता है लेकिन, इसी घर के अंदर झांककर देखा तो सब-कुछ अस्त-व्यस्त था। फर्श कच्चा था जो मिट्टी व गोबर से लिपा हुआ था। दीवारों पर प्लास्टर तक नहीं हुआ इस कारण ईंटों के बीच लगा सीमेंट रेता झड़कर गिर रहा था। छत पर प्लास्टर न होने से उसमें ऊबड़-खाबड़ गड्ढे दिख रहे थे जो यह बताने काफी थे कि आवास का निर्माण कितनी जल्दबाजी व लापरवाही में किया गया है।

यह तो केवल उदाहरण मात्र है। जितने भी आवास सरकारी रिकार्ड में पूर्ण बताए जा रहे हैं उनमें से अधिकांश की हालत ऐसी ही है। जनपद व पंचायत केे कर्मचारियों ने आवास के मैन फेस के फोटो व सेल्फी लेकर पीएम आवासों को पूरा बता दिया है। आज तक किसी भी अफसर ने गरीबों के घर के अंदर झांककर नहीं देखा कि, इनकी दशा क्या है।

पंचायत का जोर आवास के चेहरे को रंगने में

पीएम आवास का टारगेट पूरा करने के लिए जिला पंचायत से लेकर जनपद व ग्राम पंचायतों के ऊपर भोपाल से ही दबाव है। इस दबाव में काम की गुणवत्ता बिगड़ रही है यह बात हर कोई कह रहा है लेकिन, जिम्मेदार अफसर हैं कि मानने को तैयार नहीं।

आवासों में अंधेरी इस कदर हो रही है कि, पंचायत के सचिव-रोजगार सहायक और जनपदों के उपयंत्री, पंचायत इंस्पेक्टर व सीईओ आवास के आगे की दीवार को पूरा कर उसे रंगाने-पुताने पर ध्यान देते है। आवास की छत डलती नहीं और आगे के फेस को पूरा कर उसके फोटो व सेल्फी लेकर काम पूरा बताने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है।

कसौटी पर परखो तो 90 फीसदी आवास अधूरे

प्रशासन के रिकार्ड में 80 प्रतिशत से ज्यादा पीएम आवास का काम पूरा हो चुका है लेकिन, हकीकत यह है कि जिन मापदंडों से काम पूरा माना जाता है उस कसौटी पर आवासों को परखा जाए तो श्योपुर जिले में 10 प्रतिशत आवास भी पूरे नहीं हुए होंगे।

जिले में 10 हजार 500 से ज्यादा पीएम आवास है जिनमें से लगभग 09 हजार आवास बन चुके हैं। इन 09 हजार आवासों के अंदर झांककर देखा जाए तो 09 में से 08 हजार से ज्यादा अधूरे होंगे। किसी का फर्श नहीं हुआ होगा। अधिकांश की दीवार व छत पर भी प्लास्टर नहीं हुआ।

ठेके पर आवास, बने मुसीबत

नियमानुसार, पीएम आवास निर्माण का ठेका नहीं दिया जा सकता। यह आवास हितग्राही को खुद ही बनाने होते हैं लेकिन, श्योपुर, कराहल व विजयपुर में 35 से ज्यादा ग्राम पंचायतों ने पीएम आवासों का ठेका दे दिया। गड़बड़ी यह हो गई कि, 200 से ज्यादा आवासों की दो-दो किश्त का (80-80 हजार) स्र्पया लेकर ठेकेदार गायब हो चुके हैं।

करीब दो महीने पहले जिला पंचायत सीईओ ऋषि गर्ग ने इन ठेकेदारों पर पर एफआईआर के आदेश दिए लेकिन, आज तक एक भी ठेकेदार पर एफआईआर प्रशासन नहीं करवा पाया है। कई ठेकेदार तो राजस्थान के थे जो पैसा लेने के बाद ऐसे गायब हुए कि, उनकी तलाश करना ही चुनौती बन चुका है।

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