भोपाल(ईन्यूज एमपी)- मध्यप्रदेश में आयकर विभाग ने सबसे ज्यादा बेनामी संपत्तियां अटैच कर देशभर में सुर्खियां तो बटोरीं, लेकिन अब विभागीय अफसर कानूनी पचड़ों को लेकर परेशान होने लगे हैं। एडजुडिकेटिंग अथॉरिटी से खारिज होने के बाद कुछ हाई प्रोफाइल प्रकरण में फरियादियों ने विभाग को हाईकोर्ट में घसीट लिया है। अफसरों को अब कई मोर्चों पर चाक-चौबंद व्यवस्थाएं जुटानी पड़ रही हैं। आयकर विभाग के लिए ये मामले परेशानी का सबब बनने लगे हैं। हाल ही में विभाग द्वारा बेनामी संपत्ति के मामले में भोपाल सहित प्रदेश के अन्य जिलों में जो प्रॉपर्टी अटैच की गई हैं, उनमें एक पूर्व आईएएस अधिकारी को जब एडजुडिकेटिंग अथॉरिटी से राहत नहीं मिली तो वह अपना मामला लेकर हाईकोर्ट चले गए। सुर्खियों में रहे इस पूर्व आईएएस की भोपाल और आसपास करीब 10-11 बेशकीमती ऐसी संपत्तियां हैं, जिन्हें विभाग बेनामी मानता है। अपना निर्णय सही ठहराने में लगे इसी तरह आदिम जाति कल्याण विभाग में पदस्थ अधिकारी सेवकराम भारती ने भी आयकर विभाग द्वारा अटैच की गई अपनी संपत्तियों को बेनामी मानने से इंकार करते हुए हाईकोर्ट में चुनौती दे दी है। उधर सुशील वासवानी की संपत्ति के प्रकरण में विभाग के निर्णय को एडजुडिकेटिंग अथारिटी ने पलट दिया। इस मुद्दे पर विभाग अब ट्रिब्यूनल के जरिए अपने निर्णय को सही ठहराने की तैयारी कर रहा है। उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ में आयकर विभाग ने 325 बेनामी संपत्तियां अटैच कर देशभर में अव्वल स्थान हासिल किया है। विभाग की बेनामी यूनिट को उम्मीद है कि इन संपत्तियों को राजसात किया जाएगा, लेकिन उसके सामने अब अदालतों में अपनी कार्रवाई को फिर सही साबित करने की चुनौती आ गई है। आयकर विभाग एक ओर दोनों राज्यों की विभिन्ना अदालतों और विभागीय ट्रिब्यूनल में चल रहे 1200 प्रकरण वापस लेने की तैयारी में है। ये ऐसे प्रकरण हैं जिनमें 20 लाख, 50 लाख से लेकर एक करोड़ रुपए तक की टैक्स वसूली को लेकर विवाद है। ये मामले ट्रिब्यूनल, अपील, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से वापस लेने की तैयारी चल रही है। इस संबंध में सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स (सीबीडीटी) की ओर से विभाग को नई एडवायजरी भी जारी की गई है। इसके पीछे मंशा यही है कि अदालती मामलों में उलझने से विभाग का समय और पैसा बर्बाद होता है। इसलिए ऐसे मामले वापस लेकर अधिकारियों की ऊर्जा का उपयोग टैक्स कलेक्शन और नए करदाताओं की संख्या बढ़ाने में करने की योजना बनाई गई है।