भोपाल(ईन्यूज़ एमपी)- लोकायुक्त की कार्रवाई के बाद से ही निलंबित चल रहे मप्र के 1995 बैच के आईपीएस अधिकारी मयंक जैन को भारत सरकार ने सेवा से पृथक कर दिया है। मई 2014 में लोकायुक्त की उज्जैन टीम ने उनके भोपाल, इंदौर और रीवा स्थित निवास पर छापा मारा था। इस कार्रवाई में मयंक जैन के पास लगभग 100 करोड़ की सम्पत्ति मिली थी। इसके बाद ही सरकार ने उन्हें सस्पेंड कर दिया था। राज्य सरकार ने इसी साल 3 मार्च को उन्हें अनिवार्य सेवा निवृत्ति देने का प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा था जिसे भारत के गृह विभाग ने 13 अगस्त को मंजूर कर राज्य सरकार को सूचना भेज दी है। मप्र लोकायुक्त द्वारा आईजी स्तर के किसी आईपीएस अफसर के खिलाफ छापे की यह पहली कार्रवाई थी। लोकायुक्त संगठन को आईजी डॉ. मयंक जैन के खिलाफ अक्टूबर 2012 में गोपनीय शिकायत मिली थी। 19 माह चली जांच के बाद बुधवार को उज्जैन लोकायुक्त ने जैन के खिलाफ मामला दर्ज किया था। क्या था मामला - लोकायुक्त ने मई 2014 में आईजी (सामुदायिक पुलिसिंग) डॉ. मयंक जैन के भोपाल, इंदौर, उज्जैन और रीवा स्थित ठिकानों पर छापा मारकर करीब 100 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति के खुलासे का दावा किया था। टीम ने भोपाल के रिवेयरा टाउनशिप स्थित बंगले से 13 प्रॉपर्टी के दस्तावेज जब्त किए थे। 19 साल की नौकरी में जैन की कुल आय एक करोड़ 20 लाख रु. होनी चाहिए थी।