भोपाल(ईन्यूज़ एमपी)- मुजफ्फरपुर की घटना के बाद मप्र में महिला एवं बाल विकास विभाग ने भी गाइडलाइन जारी कर दी है। सभी कलेक्टरों को जिम्मा सौंपा गया है कि वे बाल देख-रेख संस्थान, दत्तक ग्रहण एजेंसी, बालगृह, संप्रेक्षण गृह, खुला आश्रयगृह में रह रहे 18 वर्ष तक के बालक व बालिकाओं की सुरक्षा करें। किसी के साथ भी शोषण या लैंगिक घटना नहीं हो। खासतौर पर बालिका गृह के लिए विभाग के कमिश्नर डॉ. अशोक कुमार भार्गव ने कहा है कि माह में एक बार प्रत्येक बच्ची का स्त्री रोग विशेषज्ञ द्वारा पूरा मेडिकल परीक्षण कराया जाए। यदि बालक गृह है तो भी यही प्रक्रिया अपनाई जाए। डॉक्टर हर सप्ताह भ्रमण भी करें। निर्देश - पुलिस वेरीफिकेशन के बाद ही बालक व बालिका गृहों में काम करने वाले लोग रखे जाएं। - मनोचिकित्सक और परामर्शदाता के माध्यम से हर बच्चे से बात की जाए। - बालिका गृहों में महिला कर्मचारी तैनात होने चाहिए। - यदि किसी अधिकारी द्वारा लड़कों या लड़कियों से संस्था के कर्मचारियों की अनुपस्थिति अलग से बात की जाती है तो उसकी सूचना दी जाए। - लिंग, धर्म और जाति के आधार पर भेदभाव-धर्मांतरण जैसी घटनाएं न होने दें। - सीसीटीवी कैमरे लगाकर प्रतिदिन रिकॉर्डिंग की जाए। - बालिका गृह में बिना सक्षम व्यक्ति की मंजूरी के प्रवेश प्रतिबंधित हो। बाहरी व्यक्ति का प्रवेश भी रोका जाए। - हर संस्था में शिकायत पेटी लगाई जाए। उसे अधिकृत व्यक्ति ही खोले। - दस वर्ष से अधिक बच्चे हैं तो लड़के और लड़कियों को अलग रखा जाए।