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मन की बात में मोदी जी ने कहा, फसल के अवशेष में आग लगाने से धरती की एक परत जल जाती है

नयी दिल्ली : जैविक खेती के महत्व को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि फसल के अवशेष भी बहुत कीमती और अपने आप में जैविक खाद होते हैं और ऐसे में खेतों में उन्हें आग लगाना ठीक नहीं है क्योंकि इससे जमीन की उपरी परत जल जाती है तथा पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचता है।


प्रधानमंत्री के इस बयान को ऐसे समय में महत्वपूर्ण माना जा रहा है जब कई रिपोटरे में पंजाब में फसलों के अवशेष को आग लगाने को दिल्ली एवं हरियाणा में प्रदूषण स्तर बढ़ने से जोड़ा गया है। आज मन की बात कार्यक्रम में जालंधर के लखविंदर सिंह ने भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के समक्ष इस मुद्दे को उठाया था।

मोदी ने कहा कि पूरे हिन्दुस्तान में यह हम लोगों की आदत है और परंपरागत रूप से हम इसी प्रकार से अपनी फसल के अवशेषों को जलाने के रास्ते पर चल रहे हैं। एक तो पहले हमें इससे होने वाले नुकसान का अंदाजा नहीं था। सब करते हैं इसलिए हम करते हैं वो ही आदत थी। दूसरा, इसका उपाय क्या होता हैं उसका भी प्रशिक्षण नहीं था और उसके कारण ये चलता ही गया।

प्रधानमंत्री ने कहा, आज जो जलवायु परिवर्तन का संकट है, उसमें वह जुड़ता गया। और जब इस संकट का प्रभाव शहरों की ओर आने लगा तब आवाज सुनाई देने लगी। हमें हमारे किसान भाई बहनों को प्रशिक्षित करना पड़ेगा, उनको सत्य समझना पड़ेगा कि फसल के अवशेष जलाने से हो सकता है कि समय बचता होगा, मेहनत बचती होगी। अगली फसल के लिए खेत तैयार हो जाता होगा। लेकिन ये सच्चाई नहीं है। फसल के अवशेष भी बहुत कीमती होते हैं। वे अपने आप में जैविक खाद होता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हम उसको बर्बाद करते हैं। इतना ही नहीं है अगर उसको छोटे-छोटे टुकड़े कर दिये जाएं तो वह पशुओं के लिए तो ड्राई फूड बन जाता है। दूसरा ये कि इन अवशेषों को जलाने के कारण जमीन की उपरी परत जल जाती है। मोदी ने कहा कि हमारी हड्डियां मजबूत हों, हमारा हृदय मजबूत हो, अच्छी हो, और अगर चमड़ी जल जाए तो क्या होगा? हम जिन्दा बच पायेंगे क्या? वैसे ही, ये फसल के अवशेष, ठूंठ जलाने से सिर्फ ठूंठ नहीं जलते, ये पृथ्वी माता की चमड़ी भी जल जाती है। हमारी जमीन के उपर की परत जल जाती है, जो हमारी उर्वरा भूमि को मृत्यु की ओर धकेल देती है। और इसलिए उसके सकारात्मक प्रयास करने चाहिए।

उन्होंने कहा कि इस ठूंठ को फिर से जमीन में दबोच दिया, तो भी वो खाद बन जाता है। या अगर किसी गड्ढे में ढेर करके केंचुए डालकर के थोड़ा पानी डाल दिया तो उत्तम प्रकार का जैविक खाद बन करके आ जाता है। पशु के खाने के काम तो आता ही आता है, और हमारी जमीन बचती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इसी प्रकार से केले की खेती के बाद उसके ठूंठ जमीन में गाड़ दिये जायें तो उससे निकलने वाला पानी फसल को जिंदा रखने में मददगार हो सकता है।

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