भोपाल (ईन्यूज एमपी)--मध्यप्रदेश में चुनावी साल में शराब बंदी की मांग उठ रही है...इस बार बीजेपी से ही यह मांग उठी है...बीजेपी के सास्कृतिक प्रकोष्ठ के इंदौर नगर संयोजक ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर शराब बंदी और दुष्कर्म के आरोपियों को सार्वजानिक रूप से फांसी देने की मांग की है...अब सरकार के सामने संकट है कि यदि शराब बंदी लागू करने का फैसला करती है..तो र सरकार के सामने आर्थिक सकंट खड़ा हो जायेगा...और यदि सरकार शराब बंदी लागू नहीं करती है तो सरकार के सामने अपने ही लोगों के विरोध का सामना करने के हालात बन रहे है.. प्रदेश में शराब बंदी को लेकर मांग तेज हो गयी है... लगातार बढ़ रहे अपराध और दुष्कर्म की घटनाओं के बाद प्रदेश में शराब बंदी को लेकर बहस शुरु हो गयी है...प्रदेश में विपक्ष अभी तक शराब बंदी की मांग को लेकर अपनी आवाज बुंलद करता रहा है...लेकिन अब बीजेपी के अंदर से ही अब यह मांग उठने लगी है...इंदौर से पार्टी के एक पदाधिकारी ने बाकायदा मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर प्रदेश में बढ़ रही दुष्कर्म और अपराध की घटनाओं के लिये शराब को जिम्मेदार माना है...और प्रदेश में शराबबंदी की मांग की है.... राज्य सरकार की शराब से होने वाली आय प मध्यप्रदेश में वर्ष 2011-12 में शराब से होने वाली आय 4317 करोड़ थी। जो 2012-13 में 5083 तथा 2015-16 में 7926 करोड़ तक जा पहुँची है। वर्ष 2018 में सरकार ने 10 हजार करोड़ रूपयों की लक्ष्य रखा था। इसी तरह पाँच साल में अहाते 142 से बढ़कर 172, बार 52 से बढ़कर 73 हो गये। आकस्मिक लायसेंस 718 से बढ़कर 2243 हो गए हैं। पॉच साल में देशी शराब की खपत में 27 फीसदी की वृद्धि हुई है। विदेशी शराब की खतप 26 फीसदी बढ़ी हैं। इसके अलावा राज्य सरकार को देशी शराब से लगभग 3 हजार करोड़ रुपये और दो हजार करोड़ रुपये भांग ठेके से प्राप्त होती है। सरकार की आय और व्यय 1-2018-19 के लिये मध्य प्रदेश का सकल राज्य घरेलू उत्पाद 8,26,106 करोड़ रुपए अनुमानित है। 2-यह 2017-18 के संशोधित अनुमान से 19.7% अधिक है,उल्लेखनीय है कि 2018-19 में बजट अनुमान की तुलना में आय के 6% कम होने की उम्मीद है। 3-2018-19 के लिए कुल व्यय 1,86,685 करोड़ रुपए अनुमानित है,जोकि 2017-18 के संशोधित अनुमान से 13.6% अधिक है। 4-संशोधित अनुमान बताते हैं कि 2017-18 में बजट अनुमान की तलुना में व्यय 5,660 करोड़ रुपए कम होने की उम्मीद है। 5-2018-19 के लिए कुल प्राप्तियां 1,61,356 करोड़ रुपए अनुमानित हैं,जोकि 2017-18 के संशोधित अनुमान से 13.9% अधिक है। 6-2017-18 में कुल प्राप्तियां बजटीय अनुमान से 3,486 करोड़ रुपए कम थीं। 7-चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 26,780 करोड़ रुपए पर लक्षित है।