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सीधी, विंध्य में अकाल के काले बादल

सीधी , खरीफ की फसल की बोवनी के लिए खेतों पर जुटा किसान की चिंता जहां बढ़ती ही जा रही है। वहीं मौसम के वर्तमान मिजाज से विशेषज्ञों का मानना है कि विंध्य में अकाल की काली छाया मंडरा रही है। किसान दलहनी फसल की बोवनी करने के बाद धान की फसल की बोवनी में लगा हुआ है। रोपा लगाने के लिए खेतों में पानी नहीं है। इसके पूर्व दलहनी फसल और झुरिया धान की बुवाई किसान ने की थी। बारिश न होने के कारण उक्त फसलों के पौधे उत्पादन देने में अब हाफने लगे हैं। तो वहीं धान की रोपाई न हो पाने से चावल की फसल पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं। जिससे विशेषज्ञों का कहना है कि मौसम का मिजाज यह साफ कर रहा है कि विंध्य में इस बार दलहनी व धान की फसल के उत्पादन में प्रभाव पड़ेगा।

बारिश को लेकर गोस्वामी तुलसीदास जी ने ही लिखा है कि 'का वर्षा जब कृषि सुखानी'।
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि वर्तमान में जो फसल की स्थिति है उस हिसाब से बारिश नहीं हुई है और अगर अब बारिश होती भी है तो फसलों को उसे कोई खास लाभ नहीं मिलेगा। देखने के लिए भले ही फसल हरी-भरी हो, लेकिन उसके उत्पादन में प्रभाव पड़ता है। हर चीज का एक समयावधि होती है। उसी तरह फसलों के बुवाई और उसके विकास के लिए समय पर खाद, दवा और पानी की आवश्यकता होती है। मौसम की बेरुखी से फसलों पर बेहद प्रभाव पड़ रहा है।

वर्षाकाल में बारिश व बादल के चलते मौसम में आर्द्रता होनी चाहिए। तो वहीं खेतों में इससे नमी रहती है। आर्द्रता न होने के कारण खेतों से नमी समाप्त हो गई है और यह फसलों के लिए सबसे ज्यादा हानि पहुंचा रही है। नमी न होने के कारण कीटनाशक दवा का छिड़काव खेतों में नहीं हो पाता है। जो किसान नमी न होने के बाद भी दवा का छिड़काव करते हैं उससे फसल और उसके उत्पादन पर बुरा असर पड़ता है और ये तमाम तरह की समस्याएं वर्तमान में विंध्य क्षेत्र में मौजूद हैं। जिससे यह साफ जाहिर होता है कि विंध्य में अकाल के काले बादल मंडरा रहे हैं।

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