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अति पिछड़ी जातियों के रोग सिकलसेल के इलाज पर अंतराष्ट्रीय सेमिनार आज से...

भोपाल(ईन्यूज एमपी)- . अति पिछड़ी जाति बैगा भरिया सहरिया में होने वाली सिकलसेल बीमारी पर होम्योपैथी दवाओं से किए गए शोध पर पहला अंतरराष्ट्रीय सेमिनार 18 और 19 मई को आयोजित किया जाएगा। शासकीय होम्योपैथी कॉलेज के सभागार में होने वाले सेमिनार में आयुष विभाग की प्रमुख सचिव शिखा दुबे, जनजाति विभाग के प्रमुख सचिव एसएन मिश्रा, और कमिश्नर दीपाली रस्तोगी मुख्य रूप से उपस्थित रहेंगी। सुबह 10 बजे उद्घाटन सत्र के बाद 11 बजे से दूसरा सत्र शुरू होगा। इसमें अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त विद्वान डॉ. उमेश दयानंद मलेशिया और एचप्लस के सीईओ डॉ. मुकुंद सुवादिया सूरत मौजूद रहेंगे। कार्यक्रम संयोजक डॉ. निशांत नंबीशन ने बताया कि शनिवार को सेमिनार में दुनियाभर में होम्योपैथिक शिक्षकों के शिक्षक के रूप में मशहूर डॉ. फारुख जे. मास्टर कनाडा, सेमिनार में शामिल होंगे।

गौरतलब है कि सिकलसेल एक गंभीर खून की बीमारी है, इस बिमारी में रक्त कोशिकाएं सिक्के के आकार के ना बन कर अर्ध चंद्रकार या हंसिये के जैसा बनती हैं। जिससे ऐसे प्रभावित व्यक्ति की आयु कम हो जाती है और वह खून की कमी एवं कई तरह के लक्षणों से ग्रसित होता है। अपने ही समाज एवं करीबी रिश्ते में शादी की प्रथा से यह बिमारी वंशानुगत रूप से इन जाति के लोगों में फैलती है। दुनियाभर में इस बीमारी का इलाज बोनमेरो ट्रांसप्लांटेशन जैसी महंगी तथा दुर्लभ प्रक्रिया ही है। ऐसे में प्राकृतिक रूप से होम्योपैथी दवाएं ऐसे पीड़ित व्यक्ति को कैसे मदद कर सकती है इस पर गहन चर्चा एवं सुझाव अतिविशिष्ट अन्तराष्ट्रीय होम्योपैथिक विद्वानों से उनके अनुभवों को डॉ. निशांत नंबीशन के नेतृत्व में शासकीय होमियोपैथिक महाविद्यालय की टीम ने जुटाए हैं। इस मौके पर मंडला, डिंडोरी, अनूपपुर, शहडोल एवं पातालकोट में रह रहे बैगा भारियस सहरिया के पीड़ित मरीजों की ट्राइबल डिपाटर्मेंट की सहायता से इलाज भी किया जाएगा।

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