सीधी (ईन्यूज़ एमपी): आदिवासी कल्याण के नाम पर शासन की योजनाओं का चूना लगाने वालों पर अब गाज गिरनी शुरू हो चुकी है। सीधी जिले में आदिम जाति कल्याण विभाग के नाम पर चले रहे घोटाले की परतें खुलते ही कलेक्टर स्वरोचिष सोमवंशी ने बिना किसी चेतावनी के सर्जिकल स्ट्राइक कर दी। विभाग में फैले भ्रष्टाचार, फर्जी तबादले और कागजी घपले पर उन्होंने तीन अधिकारियों को तत्काल सस्पेंड कर दिया, वहीं प्रभारी सहायक आयुक्त को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। किस पर गिरी गाज? यूएसडी दुबे (लेखाधिकारी) – निलंबित शिवेन्द्र सिंह (स्थापना शाखा लिपिक) – निलंबित विनोद पाठक (कर्मचारी) – निलंबित एस.एन. द्विवेदी (प्रभारी सहायक आयुक्त) – शोकॉज नोटिस जारी क्या है मामला? सूत्रों के अनुसार, विभाग में शिक्षकों और छात्रावास अधीक्षकों के स्थानांतरण में भारी घोटाला हुआ था। मनमाने ढंग से तबादला आदेश जारी किए गए, जिनमें हीलाहवाली, पक्षपात और मोटी रकम की लेनदेन की भी चर्चा है। इस पूरे मामले की शिकायत सीधे कलेक्टर तक पहुंची और स्वरोचिष सोमवंशी ने पूरी फाइल खंगाल डाली। कार्रवाई ने उड़ाए होश: जैसे ही कलेक्टर के आदेश जारी हुए, विभाग में अफरा-तफरी मच गई। एक ओर जहां आरोपी कर्मचारियों की हालत पतली है, वहीं अन्य विभागों में भी सन्नाटा पसर गया है। चर्चाएं हैं कि यह केवल शुरुआत है और जल्द ही अन्य विभागों पर भी बिजली गिर सकती है। अधिकारियों की भीगी जुबान में सराहना: कलेक्ट्रेट के गलियारों में इसे कलेक्टर की साहसिक पहल माना जा रहा है। कई अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि, अब किसी भी अधिकारी-कर्मचारी को यह सोच लेना चाहिए कि ढील और दलाली का युग गया, अब जवाबदेही का दौर आ चुका है। वहीं विभागीय भ्रष्टाचार से पीड़ित लोगों में अब इस कार्रवाई को एक नई उम्मीद के रूप में देख रही है। सोशल मीडिया पर लोग कलेक्टर की ईमानदारी और निष्पक्षता की तारीफ कर रहे हैं।