ग्वालियर(ईन्यूज एमपी)-मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रदेश के जिला कोर्ट, जेल, अस्पताल को वीडियो कॉन्फ्रेंस से जोड़ने का आदेश दिया है। इस आदेश में कहा गया है कि इस व्यवस्था से न्यायालय की भीड़ को कम किया जा सकता है। पेशी, गवाही में लगने वाला समय भी कम होगा। जिला कोर्ट यह शीघ्र शुरू करनी होगी। सुप्रीम कोर्ट ने जिला न्यायालय में वीडियो कॉन्फ्रेंस सुनवाई का आदेश दिया है। इस आदेश के पालन में हाईकोर्ट ने गाइड लाइन जारी की है। जिला कोर्ट के सीजेएम, एसीजेएम, फेमिली कोर्ट, अस्पताल को जोड़ना होगा। वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से आरोपी का चेहरा स्पष्ट देखा जा सकता है। इसलिए इस प्रक्रिया के माध्यम से सुनवाई करने में कोई परेशानी नहीं होगी। वीसी के माध्यम से जो गवाही हुई है, उसे सुरक्षित रखा जा सकता है। कोर्ट उसे बार-बार सुन सकता है, जिससे गलति की संभावना कम है। काम में गति आएगी। वर्तमान में जिला कोर्ट में भीड़ सबसे बड़ी समस्या है। क्योंकि आरोपी के आने पर उनके परिजन कोर्ट पहुंच जाते हैं। साथ ही पुलिस बल भी आता है। आरोपी को नहीं आने से काफी भीड़ कम होगी। वीसी के माध्यम से की गई कार्रवाई आईटी एक्ट व इंडियन एवीडेंस एक्ट के तहत मान्य होगी। किस मामले में वीसी होगी, यह तय करने का अधिकार जिला कोर्ट के पास रहेगा। वीसी के माध्यम से होने वाली सुनवाई में आरोपी का अधिवक्ता उसे पूरी वास्तु स्थिति बता सकता है। यह काम हो जाएंगे आसान- - वर्तमान में जेल से आरोपी को कड़ी सुरक्षा के बीच लाना होता है। इसमें काफी समय लगता है। सुरक्षा पर पैसा भी खर्च होता है, लेकिन जेल में कैमरे के सामने आरोपी को बिठाकर कोर्ट की पूरी कार्रवाई दिखाई व सुनाई जा सकती है। कोर्ट बी आरोपी को देख सकता है। वीसी के माध्यम से सुनवाई होने पर आरोपी को लाने-ले जाने का समय बचेगा। - पोस्ट मार्टम करने वाले डाक्टर को वर्तमान में कोर्ट आना पड़ता है। इससे डाक्टर का भी पूरा दिन बेकार हो जाता है। अस्पताल में कैमरा लगने से उसे कोर्ट नहीं आना होगा। वीसी के माध्यम से अपनी गवाही दर्ज करा सकता है। - थाने भी वीसी के माध्यम से आरोपी को रिमांड ले सकते हैं। आरोपी को रिमांड पर लेने के लिए पुलिस को कोर्ट आना पड़ता है। इससे काफी समय बर्बाद होता है। - वीसी के माध्यम से गवाही होने से ट्रायल भी तेज गति से पूरी होगी। क्योंकि समय की काफी बचत होगी।