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बुढ़ार बी आर सी बना असुविधा व मनमानी का घर.......

शहडोल/बुढ़ार(ई न्यूज एमपी)-कुछ दिनों पहले ही बुढ़ार बी आर सी के अधीनस्थ कुछ निजी शैक्षणिक संस्थानों की फीस व शिक्षा को लेकर सवाल उठाए गए थे जिसे कुछ अखबारों ने प्रकाशित किया था फीस व शिक्षा तो ठीक है लेकिन कुछ ऐसे विद्यालय भी हैं जो आर टी ई के मापदंडो को पूरा नहीं करते है उसके बाद भी इन्हें विद्यालय का दर्जा दिया गया है
सरस्वती ज्ञान मन्दिर बुढ़ार..आदर्श कालोनी में चल रहे है कई वर्षों से यह विद्यालय अगर देखा जाए तो यह किसी भी मापदंड को शायद ही पूरा करती हो लेकिन इन्हें बी आर सी की तरफ से पूर्ण छूट प्राप्त है मनमानी करने की
शिक्षकों को नहीं मिलता शासन के मानदेय के अनुसार वेतन
कई वर्षों से संचालित होने के बाद भी आज तक शिक्षक नियमित नही हुए
गरीबी रेखा के नीचे आने वालों को आई डी व नाम का झाँसा देकर विद्यालय से बाहर का रास्ता दिखाया जाता है
विद्यालय में आजतक खेल का मैदान नही है जो आर टी ई के नियमों का उल्लंघन करती है
बिना टी सी के ही दुसरे विद्यालय के बच्चों का एडमिसन ले लिया गया
सरस्वती विद्या भारती राजेंद्रा कालोनी ..
यहाँ भी विद्यालय कई वर्षों से संचालित है जो सरस्वती शिशु मन्दिर के होने का दिखावा कर रही है वास्तव में यहां के कुछ विशेस लोगो का कहना है की यह विद्यालय परिषद का नही है
15 शिक्षकों में दो ही नियमित जिनमे एक नाम प्राचार्य संजीव द्विवेदी का है
डी एड बी एड योग्यता रखने वाले मात्र 3,4 शिक्षक
खेल का मैदान नही है
ग्रीन बेल्स स्कूल बुढ़ार...
ज्ञात हो यह विद्यालय सी बी एस सी बोर्ड है और बुढ़ार की चर्चित स्कूलों में से एक है इसके डायरेक्टर नियाजी जी हैं ये वही नियाजी है जी जिनके ऊपर स्कूल में लगे भारत के नक्शे से कश्मीर का नाम व नक्शा हटवाने का आरोप है और इन पर वाद भी दायर है
इनके यहाँ हर वर्ष नए शिक्षकों की नियुक्ति होती है कारण की पुराने शिक्षकों को वेतन बढ़के न देना पड़े व नियमित न हों और नए शिक्षक की नियुक्ति कम वेतन में हो जाए
कुछ जमीन साहूकारों का कहना है की विद्यालय का कुछ हिस्सा शासकीय जमीन पर है लेकिन मामला पुराने तहसीलदार को ले देकर काम बना लिया गया था
और भी कई विद्यालय है जिन्हें बी आर सी व जिला शिक्षा अधिकारी के तरफ से ध्यान न दिए जाने के कारण निजी संस्थाओं के हौसले बुलन्द हैं और वो मनमाना तरीके से विद्यालय को चलाते हैं।

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