जबलपुर(ईन्यूज एमपी)- प्रदेश भर के विद्युत कर्मचारियों को हाईकोर्ट से मुफ्त बिजली का तेज झटका दिया है। पेंशनरों को बंद की गई रियायती दरों पर बिजली की आपूर्ति को उचित ठहराते हुए चीफ जस्टिस हेमन्त गुप्ता और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने मौजूदा बिजली कर्मियों को मिल रही बिजली पर सवाल उठाए हैं। युगलपीठ में एक तरफ पेंशनर्स की ओर से दायर अपील खारिज कर दी, वहीं दूसरी ओर मामले पर संज्ञान लेकर बिजली कंपनियों से पूछा है कि यह लाभ मौजूदा कर्मचारियों को कैसे दिया जा रहा है? मामले पर जवाब पेश करने युगलपीठ ने 3 सप्ताह का समय दिया है। यह अपील मप्र विद्युत मण्डल पेंशनर्स एसोसिएशन की ओर से दायर की गई थी। दरअसल, मप्र विद्युत मण्डल ने 11 जून 1996 को कर्मचारियों को रियायती दरों पर बिजली देने का निर्णय लिया था। इसके तहत तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियो को कुल बिल का 50 फीसदी और द्वितीय और प्रथम वर्ग के कर्मचारियों को 25 फीसदी की छूट दी गई थी। इसके बाद 6 जून 2012 को रिटायर्ड कर्मचारियों को रियायती दरों पर बिजली देना बंद कर दिया था। हालांकि, मौजूदा कर्मचारियों को मुफ्त बिजली का लाभ दिया जा रहा था। पेंशनर्स को भी यह लाभ देने पूर्व में एक याचिका दायर की गई थी। एकलपीठ ने 16 मार्च को यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी थी कि सेवा शर्तों में यह लाभ शामिल नही है, इसलिए बोर्ड का फैसला सही है। एकलपीठ के इसी आदेश के खिलाफ यह अपील दायर हुई थी, जो सुनवाई के बाद युगलपीठ ने खारिज कर दी।