इंदौर(ईन्यूज एमपी)- चुनावी साल में सारे रिस्क फेक्टर और विवादों को खत्म करने के साथ मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान लोगों को खुश करने में जुट गए है। किसानों की नाराजगी दूर करने के लिए किसान सम्मान यात्रा प्रदेश में शुरू हो चुकी है। कर्मचारियों को रिटायरमेंट आयु बढ़ा कर खुश करने का भी प्रयास किया गया। अब विरोध में आवाज उठाने वाले संतों को उपक्रत कर नाराजगी दूर करने की कोशिश मुख्यमंत्री ने की है। राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग ने मंगलवार को आदेश जारी करते हुए नर्मदा परिक्षेत्र के लिए एक विशेष समिति का गठन किया है। इस समिति में इंदौर के संत भय्यू महाराज, कम्प्यूटर बाबा, नर्मदानंद महाराज, हरिहरानंद महाराज और पं योगेंद्र महंत को शामिल किया गया है। राजभवन के आदेश पर सामान्य प्रशासन विभाग के अपर सचिव केके कातिया द्वारा जारी पत्र में स्पष्ट किया गया कि सभी सदस्यों को राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त होगा। संतों की नाराजी दूर करने का प्रयास सरकार से नाराज चल रहे संतों ने सरकार खास कर मुख्यमंत्री के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। नर्मदा क्षेत्र में हुई वृक्षारोपण कार्यक्रम में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए संतो ने नर्मदा यात्रा का ऐलान कर दिया था। कम्प्यूटर बाबा के नेतृत्व में नर्मदा क्षेत्र में निकाली जाने वाली इस यात्रा के माध्यम से सरकार विरोधी माहौल खड़ा करने की कोशिश शुरू हो गई थी। हालांकि बाद में यह मुहिम अचानक बंद हो गई, माना जा रहा है कि खुद मुख्यमंत्री ने संतों से चर्चा कर नाराजी का पटाक्षेप कर दिया था। राज्यमंत्री का दर्जा प्रदान किए जाने के बाद इस बात की पुष्टी भी हो रही है। भय्यू महाराज भी प्रदेश में स्वयं की उपेक्षा से पिछले कुछ सालों से नाराज चल रहे है। उनकी नाराजी सरकार के बड़े आयोजनों में उन्हें महत्व नहीं दिए जाने को लेकर थी। मुख्यमंत्री ने उन्हें भी समिति में शामिल कर नाराजी दूर करने का प्रयास किया है। नर्मदा परिक्षेत्र के संरक्षण के लिए गठित समिति शासन ने नर्मदा परिक्षेत्र में वृक्षारोपण, जल संरक्षण और स्वच्छता अभियान के लिए इस समिति का गठन किया है। हालांकि अभी समिति के अधिकार और कामकाज को लेकर विस्तृत आदेश जारी नहीं हुआ है। माना जा रहा है कि नर्मदा क्षेत्र में मुख्यमंत्री की यात्रा के बाद धार्मिक कार्यक्रमों की निरंतरता बनाए रखने के उद्देश्य से संतों की समिति गठित की गई है, ताकि आम जनता का जुड़ाव भी सरकार के साथ बना रहे।