इंदौर(ईन्यूज एमपी)- राहुल गांधी द्वारा पार्टी संगठन में किए गए फेरबदल का फैसला अचानक नहीं है। इस फेरबदल के संकेत उन्होंने कांग्रेस अधिवेशन में अपने पहले भाषण में ही दे दिए थे। अचरज इस बात का हुआ कि उन्होंन टीम सोनिया के विश्वस्त लोगों को किनारे कर दिया। एआईसीसी में वर्षो से काबिज जनार्दन द्विवेदी को हटा कर अशोक गेहलोत की ताजपोशी का ऐलान उन्होंने कर दिया। यही नहीं ओडिसा के प्रभारी महासचिव बीके हरिप्रसाद को भी हटाए जाने के आदेश उन्होंने इसके साथ ही कर दिए। ओडिसा में राहुल ने अपने खास माने जाने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह को प्रभारी महासचिव की जिम्मेदारी सौपी वही राजीव सातव जैसे नेता जिन्हें खुद राहुल ने युथ कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनवाया था उन्हें गुजरात जैसे राज्य की जिम्मेदारी सौप दी। इस फैसले के जरिए राहुल ने यह जताने की कोशिश ही है कि अब पार्टी यंग एण्ड ओल्ड के फार्मूले पर चलेंगी। इसी तरह के बदलाव आगे भी जारी रहेंगे। मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए यह सारे बदलाव किए जा रहे है। टीम सोनिया से बना रहे दूरी पार्टी की कमान संभालने से पहले ही राहुल गांधी ने बदलाव की शुरूआत कर दी थी। इसकी शुरूआत उन्होंने गुजरात से की। टीम सोनिया के खास गुरूदास कामत को हटा कर अशोक गेहलोत को गुजरात का प्रभारी महासचिव नियुक्त किया, साथ ही जीतू पटवारी, राजीव सातव, हर्षवर्धन सापकल और वर्षा गायकवाड जैसे युवा नेताओं को राज्य के प्रभारी सचिव के तौर पर जिम्मेदारी सौपी गई। चुनाव के परिणाम तो कांग्रेस के पक्ष में नहीं आए पर कांग्रेस ने भाजपा के सामने कड़ी चुनौती खड़ी करने का काम जरूर कर दिया। राहुल गांधी का बदलाव का यह फैसला एक तरह से सही साबित हुआ। राज्य में आज पार्टी के विधायकों की संख्या बढ़कर 77 है जो पहले 60 थी। 9 के बाद प्रदेश में बड़े बदलाव की तैयारी एआईसीसी में शुरू हुए बदलाव के बाद अब उन मध्यप्रदेश राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों पर नजरे टिकी हुई है। इन राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राहुल काफी गंभीर है। 9 अप्रैल को दिग्विजय सिंह की नर्मदा परिक्रमा यात्रा समाप्त हो रही है। इस यात्रा की समाप्ती के बाद प्रदेश में बड़े बदलाव के संकेत मिल रहे है। माना जा रहा है कि नए चेहरों को आगे कर दिग्विजयसिंह जैसे वरिष्ठ नेताओं की नई भूमिका तय की जाएंगी। सूत्रों के मुताबिक पिछले दिनों गेहलोत दिग्विजय की नर्मदा यात्रा में शामिल होने मंडला पहुंचे थे। इस दौरान दोनों नेताओं के बीच लंबी मंत्रणा भी हुई थी। संभवतया यह चर्चा आला कमान द्वारा प्रदेश को लेकर चल रहे बदलाव को लेकर ही थी। बहरहाल अप्रैल मध्य से पूर्व प्रदेश की सारी स्थिति साफ हो जाएंगी।