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गुरूकुल को बचाने के लिए जुटेंगे पुराने शिष्य...

इंदौर(ईन्यूज एमपी)- फाईन आर्ट के क्षेत्र में राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्यात कलाकार अगले माह इंदौर में जुटेंगे। यह सभी कलाकार इंदौर के फाईन आर्ट कॉलेज के छात्र रहे है और इंदौर आने का मूल मकसद अपने गुरूकुल को बचाना है जिसकी तरफ से शासन प्रशासन ने आंख फैर रखी है। 1968 से 78 के बीच पास आउट हुए करीब देढ़ सौ पुराने छात्रों का आगामी 23 अप्रैल को मिलन समारोह आयोजित किया गया है। इंदौर से फाईन आर्ट की शिक्षा ग्रहण करने के बाद ये छात्र आज देश विदेश में अपनी कला का जौहर दिखा रहे है। इन सभी की एक ही ख्वाईश है कि उस ऐतिहासिक धरोहर को सहेजा जाए जिसकी स्थापना कला महर्षि दत्तात्रय देवलालीकर ने रखी थी। सरकारी उदासीनता का शिकार कॉलेज एक दशक पूर्व ही विजय नगर क्षेत्र में शिफ्ट कर दिया गया है। जर्जर मगर ऐतिहासिक इमारत की तरफ भी शासन का कोई ध्यान नहीं है जिससे देश के महान कलाकारों का अटूट नाता रहा है।

जर्जर इमारत से जुड़ी है अनेक मीठी यादे

रियासत काल में कला महर्षि देवलालीकर जी ने 1927 में फाईन आर्ट कॉलेज की स्थापना की थी। मराठी मिडिल स्कूल में शुरू किए गई इस कॉलेज से देश भर के शिष्यों का नाता रहा। यहां से तराशे हुए कलाकारों की वजह से इंदौर का नाम देश नहीं बल्कि विश्व में विख्यात हुआ। मकबूल फिदा हुसैन, एनएस बेंद्रे, एमएस जोशी, कला गुरू विष्णु चिंचालकर, एमजी किरकिरे जैसे कलाधर्मियों की साधना स्थली यही कॉलेज था। 90 दशक के ऐतिहासिक दौर में सैकड़ों कलाकार इस कॉलेज से निकले और देश भर में उन्होंने ख्याती बटोरी। जर्जर हो चुकी इमारत से आज भी अतीत की पुरानी मीठी यादे जुड़ी हुई है। इस इमारत की दरारों के अनगिनत किस्से बहते रहते है, दरकती दिवारे गवाह है उन बुलंद शख्सियतों की जिनकी कला से इंदौर ही नहीं प्रदेश का नाम रोशन हो रहा है।

गोल्डन जुबली समारोह में आए थे देवलालीकर जी

कॉलेज में 68 की बेच के छात्र रहे अनिल कुमार धडवईवाले बताते है कि 1978 में फाईन आर्ट कॉलेज का गोल्डन जुबली समारोह मनाया गया था। इस समारोह में कॉलेज संस्थापक देवलालीकर जी विशेष रूप से पधारे थे। 92 वर्ष की आयु होने के बावजूद उनमे इस समारोह को लेकर खासा उत्साह था। उनके साथ इस समारोह में एमएफ हुसैन, एमएस जोशी और एनएस बेंद्रे ने भी शिरकत की थी। यह गोल्डन जुबली समारोह उस वक्त शहर और प्रदेश का प्रतिष्ठा प्रसंग बन गया था।

अंतिम दौर तक जुड़ा रहा हुसैन का नाता

देश के सबसे चर्चित चित्रकार एमएफ हुसैन का इस कॉलेज की वजह से ही इंदौर से नाता जुड़ा। यह नाता इतना गहरा था कि जिंदगी के अंतिम समय तक जुड़ा रहा। हुसैन साहब को इंदौर में पैदल और तांगे की सवारी करना बहुत भाता था और राजबाड़ा पर पौहे जलेबी खाना तो उनकी कमजोरी थी। विश्व स्तर पर विख्यात हुसैन साहब की फेन फालिंग जबरदस्त थी, वाबजूद इसके वे इंदौर में अल्हड़ और मुक्त अंदाज में तफरीह करते रहते थे। खास बात यह कि इंदौर में ही उन्हें फिल्म बनाने का ख्याल आया और फिल्म गज गामीनी की कहानी भी यहीं तैयार हुई। माधुरी दीक्षित को लेकर बनाई गई यह फिल्म उस दौर में खासी चर्चा में रही थी।

स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में भी बिसरा दिया

स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत निगम प्रशासन ने राजबाड़ा और उसके आसपास की ऐतिहासिक इमारतों, मंदिरों और छत्रियों को सवारने का काम शुरू किया है। इसे दुर्भाग्य ही कहा जाएंगा कि जिस आर्ट कॉलेज से अंतर्राष्ट्रीय कलाकारों का नाता रहा उस धरोहर को ही बिसरा दिया गया। बोलिया छत्री स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में है पर सामने ही स्थापित कॉलेज की इमारत को बचाना प्राथमिकता में नहीं। देढ़ दशक पहले कॉलेज के नए पुराने छात्रों ने इसके लिए आंदोलन भी किया था। सरकार ने कला विथिका को सवारने का काम तो कर दिया मगर कॉलेज की सुध नहीं ली।

100 से ज्यादा कलाकार आएंगे इंदौर...
68 से 78 के दौर में फाईन आर्ट कॉलेज में पढ़ने वाले सौ से ज्यादा छात्र आज देश विदेश में स्थापीत हो चुके है। मिलन समारोह के जरिए सभी पुराने छात्र इंदौर में जुटेंगे। इस मिलन समारोह में पुरानी यादों को उकेरा जाएंगा, साथ ही गुरूजनों का स्मरण भी होगा। 23 और 24 अप्रैल को होने वाले दो दिनी समारोह में होने वाले कार्यक्रमों के बीच अहम मुद्दा ऐतिहासिक कॉलेज का बचाने का भी उठेगा। पुराने छात्रों की कोशिश है कि सरकार इस इमारत को ऐतिहासिक धरोहरों में शामिल कर इसका संरक्षण करे। समारोह में आने वाले पुराने छात्रों में ख्यात कलाकार शंकर शिंदे, अखिलेश, हरेन शाह, रमेश खेर, विदेश में बस चुके शरद सोनी जैसे नाम खास है।

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