सीधी, जपं सीधी अंतर्गत ग्राम पंचायत रामगढ़ नंबर-1 में 1.80 लाख के फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। चेक से लेकर टिन नंबर रसीद, उपयंत्री, सरपंच, सचिव से लेकर अन्य कर्मचारियों के हस्ताक्षर में फर्जीवाड़ा किया गया है। भुगतान पर रोक लगाने के बाद भी 80 हजार का भुगतान कर दिया गया है। अब प्रशासन 80 हजार भुगतान को वापस कराने के प्रयास में जुटा है। इधर, जनपद सीईओ ने उपयंत्री व पीसीओ को पत्र जारी कर प्रतिवेदन मांगा है। प्रतिवेदन के आधार पर मामले में संलिप्त दोषियों पर एफआईआर दर्ज कराया जाएगा। यदि प्रशासन द्वारा निष्पक्ष कार्रवाई की गई तो करीब आधा दर्जन लोग सलाखों के पीछे नजर आएंगे।
गौरतलब है कि, रामगढ़ नं-1 पंचायत में ई-पंचायत भवन निर्माण का 1.80 लाख फर्म के नाम पर फर्जी हस्ताक्षर युक्त चेक डीपी काम्प्लेक्स स्थित यूनियन बैंक में पहुंचा। जिसमें सरपंच-सचिव के साथ उपयंत्री के भी फर्जी हस्ताक्षर का मूल्यांकन पत्रक भी लगाया गया है। जानकारी के बाद सरपंच ने भुगतान पर रोक लगाने के लिए आवेदन दिया। इसके बाद भी 80 हजार रुपए का भुगतान कर दिया गया। अब मामला उजागर होने पर प्रशासन अपने बचाव में जुट गया। उपयंत्री व पीसीओ ने पंचायत सचिव-सरपंच पर आहरित की गई 80 हजार की राशि को वापस करने का दबाव बना रहे है। मामले को लेकर सीईओ ने जांच प्रतिवेदन के आधार पर एफआईआर के निर्देश दिए गए है। जिसके कारण जमीनी अधिकारी व कर्मचारी अपने बचाव में जुटे हुए है।
रामगढ़ नं-1 पंचायत में 1.80 लाख के फर्जीवाड़े का चेक सूर्यान्त कांसट्रंक्शन कंपनी बडख़रा के नाम काटे गए है। सूत्रों की बात माने तो इस फर्म का टिन नंबर रजिस्टे्रशन निरस्त हो चुका है। लेकिन करीब दो दर्जन पंचायतों में इसी फर्जी टिन नंबर रसीद के सहारे करोड़ों का भुगतान प्रतिवर्ष किया जा रहा है। रामगढ़ नं 1 में फर्जीवाड़े के बाद दूसरा मामला देवगढ़ पंचायत का सामने आया है। जहां पीसीसी सड़क निर्माण के नाम पर फर्जी तरीके से मटेरियल भुगतान के नाम पर 11 जून को 80 हजार रुपए एवं 25 जून को आंगनबाड़ी व पंचायत भवन की पुताई के नाम पर 20 हजार रुपए का भुगतान सूर्यान्त कांस्ट्रंक्शन कंपनी बडख़रा के नाम किया गया है।
फर्जीवाड़े के दोनों मामले में सचिव निलंबित होने के बाद भी उसके हस्ताक्षर से चेक जारी हो गए। रामगढ़ नं-1 पंचायत में सचिव बाबूलाल कोल निलंबित है उसकी जगह रोजगार सहायक रामसुशील प्रजापति को सचिव का प्रभार दिया गया। लेकिन रोजगार सहायक का हस्ताक्षर बैंक में प्रमाणित होने के पहले ही सचिव बाबूलाल कोल के फर्जी हस्ताक्षर से बैंक में 1.80 लाख का चेक लगाया गया। इसी तरह देवगढ़ सचिव शेषमणि वर्मा 12 जून को निलंबित होने के बाद 25 जून को चेक निलंबित सचिव के नाम काटा गया। सूर्यान्त कांस्टंरक्शन कंपनी बडख़रा की फर्जी रसीद के नाम पर करोड़ों का भुगतान कर दिया गया।