भोपाल (ईन्यूज एमपी)-एक साथ लोकसभा, विधानसभा निर्वाचन के बारे में विचार-विमर्श करने के संबंध की गई महत्वपूर्ण पहल के पश्चात राज्य स्तरीय समिति की प्रथम आज मंत्रालय में सम्पन्न हुई। जनसम्पर्क, जल संसाधन एवं संसदीय कार्य मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्र की अध्यक्षता में हुई बैठक में बताया गया कि राष्ट्र हित से जुड़े इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर समाज के विभिन्न पक्षों के विचार जानने के लिए राज्य स्तरीय समिति प्रदेश के अन्य अंचलों में भी बैठकों का आयोजन करेगी। राज्य स्तरीय समिति की अगली बैठक 2 अप्रैल को भोपाल में होगी। मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान ने भी पूर्व में एक साथ लोकसभा और विधानसभा निर्वाचन की बात अनेक अवसरों पर प्रभावशाली ढंग से रखी है। मानवीय श्रम, धन की बचत के साथ ही विभिन्न कारणों से एक साथ निर्वाचन का विचार महत्वपूर्ण मंचों पर प्रस्तुत हुआ है। मध्यप्रदेश ने सर्वप्रथम समिति गठित कर इस मुद्दे पर विचार की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया है। राज्य स्तरीय समिति के अध्यक्ष मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्र ने आज बैठक में कहा कि देश में विभिन्न राज्यों की विधानसभाओं के कार्यकाल अलग-अलग समय पर समाप्त होते हैं। ऐसी दशा में लोकसभा के साथ सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव सम्पन्न हों, यह व्यवहारिक रूप से संभव नहीं। दो हिस्सों में निर्वाचन की कार्यवाही का विचार ज्यादा उपयोगी माना गया है, जिसमें लोकसभा के साथ अधिकांश राज्यों के विधानसभा चुनाव हों और दूसरे हिस्से में शेष राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ हों। इस संबंध में संविधान और विधि विशेषज्ञों, प्रमुख विचारकों, मीडिया प्रतिनिधियों, जनप्रतिनिधियों और आमजन के विचार प्राप्त कर निष्कर्ष की ओर बढ़ा जा सकता है। समिति के सदस्य पर्यटन निगम के अध्यक्ष श्री तपन भौमिक ने कहा कि लोकसभा और विधानसभा के निर्वाचन साथ करवाने के अलावा नगर पालिका और अन्य स्थानीय निकायों के निर्वाचन भी एक साथ होना चाहिए। इसके साथ ही एक मतदाता सूची के निर्माण की आवश्यकता है। वरिष्ठ समाजसेवी श्री विष्णु दत्त शर्मा ने कहा कि प्रदेश के विभिन्न अंचल में बैठकें होने से एक साथ निर्वाचन के संबंध में जनसाधारण के महत्वपूर्ण विचार प्राप्त होंगे। बैठक में नर्मदा घाटी विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री रजनीश वैश्य ने बताया कि एक साथ लोकसभा और विधानसभा निर्वाचन करवाए जाने के संबंध में भारत सरकार के स्तर पर विचार-विमर्श की प्रक्रिया सम्पन्न हुई है। पूर्व वर्षों में विभिन्न समितियों और नीति आयोग के परामर्श भी प्राप्त किए गए हैं। समिति के सदस्य श्री एन.एन. रूपला ने कहा कि संविधान में आवश्यक संशोधन की प्रक्रिया के पूर्व राज्यों से जनमत जानने की पहल महत्वपूर्ण है। इस अवसर पर प्रमुख सचिव संसदीय कार्य विभाग एवं समिति की संयोजक श्रीमती वीरा राणा उपस्थित थीं। बैठक के प्रारंभ में बताया गया कि देश में वर्ष 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ हुए थे। संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार लोकसभा, विधानसभा, नगरीय निकाय तथा पंचायत सभी की अवधि प्रथम अधिवेशन के लिए नियत तारीख से पांच वर्ष है। समिति के लिए एक साथ चुनाव करवाने से सुविधा, एक साथ चुनाव करवाने में आने वाली कठिनाईयों और उनके समाधान, एक साथ चुनाव करवाने का निर्णय होने पर अपनाई जाने वाली प्रक्रिया, आवश्यक संशोधन प्रक्रिया के बिन्दु विचारणीय हैं।