पेटलावाद(ईन्यूज एमपी) - सरकार द्वारा गरीब आदिवासी सुमदाय के लिए तरह तरह की महत्वकांशी योजनाए चलाई जा रही है। लेकिन उन योजनाओं का लाभ गरीब आदिवासी के पास पहुच ही नही पा रहा है। एक ऐसा ही एक मामला हम आपके बीच लेकर आये है, झाबुआ जिले की पेटलावाद तहसील के गांव कचराखदान का। जहां के लोग वोट तो देते है लेकिन उन्हें वोट के नाम पर उन्हें चोट दी जाती है, जी हां कचराखदान गांव के नवापाड़ा फलिया एवं निनामा फलिया में करीब 150 परिवार निवास करते है ओर बकायदा वोट भी देते है लेकिन उनके फलिये में आजादी के बाद से ही लाइट के नाम पर एक तार का टुकड़ा भी नही पहुचा, डिजिटल दुनिया के युग मे यह ऐसा गांव है जहाँ के लोगो ने सिर्फ और सिर्फ दिन की रोशनी देखी है रात की रोशनी आज तक किसी ने नही देखी। गांव के लोग अंधेरे में अपना जीवनव्यापन कर रहे है, दिन के उजाले में तो जैसे तैसे समय कट जाता है लेकिन रात होते ही ग्रामीणों को जहरीले जानवरों एवं किसी अप्रिय घटना का डर सताने लगता है लेकिन सरकार प्रशासन को इस बात की जरा भी सुध नहीं कि ये भोले भाले ग्रामीण किस तरह अपनी जिंदगी को जी रहे है। गांव के दोनो फलिये में पड़ने वाले विद्यार्थि भी निवास करते है जो परीक्षा के समय मे चिमनी की रोशनी के सहारे से पढ़ाई करते है। ग्रामीणों का कहना था कि उनके द्वारा सरपंच को अपनी समस्या से कई बार अवगत करवाया गया लेकिन आज तक किसी भी प्रकार की कोई सहायता नही की गई हमे मजबूरन अब समस्त पार्टियों का बहिस्कार करते हुए नोटा का बटन दबाना होगा।