रायसेन ( ईन्यूज़ एमपी ) - किसी भी अभियान या मिशन को सफल बनाने के लिए जनजागरूकता पहली आवश्यकता है और लोगों को जागरूक करने के लिए मीडिया से सशक्त और कोई माध्यम नहीं है। यह बात कलेक्टर भावना वालिम्बे ने प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना तथा जल दिवस के अवसर पर आयोजित जागरूकता कार्यशाला में कही। उन्होंने कहा कि मीडिया अपने स्तर पर इस योजना की जानकारी जन-जन तक पहुंचाने तथा जल संरक्षण के कार्य के लिए लोगों को जागरूक करने में महती भूमिका निभा सकता है। कलेक्टर वालिम्बे ने प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना की जानकारी देते हुए बताया कि इस योजना का उद्देश्य प्रथम बच्चे के प्रसव के पूर्व तथा बाद में गर्भवती माता को आराम पहुंचाना है। इस योजना में गर्भवती महिलाओं को मजदूरी की आंशिक क्षतिपूर्ति के रुप में पांच हजार की राशि प्रदान की जाती है। यह राशि गर्भवती माता को तीन किश्तों में प्रदान की जाती है। उन्होंने बताया कि शासकीय व सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम के कर्मचारियों को इस योजना में शामिल नहीं किया गया है। इस योजना का लाभ लेने वाली माता को जननी सुरक्षा योजना की 06 हजार की राशि प्राप्त करने की पात्रता भी रहेगी। कलेक्टर ने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं एएनएम की जिम्मेदारी है कि वे प्रथम बार गर्भधारण करने वाली माताओ का पंजीयन करें। जिन्हें प्रथम किस्त के रूप में पंजीयन के पश्चात 1 हजार रूपये, 6 महिने में गर्भवती महिला की तीन स्वास्थ्य जांच उपरांत 2 हजार रूपये एवं प्रसव पश्चात बच्चे का प्राथमिक टीकाकरण पूर्ण होने पर 2 हजार रूपये उनके व्यक्तिगत खाते में भारत सरकार द्वारा अंतरित की जायेगी। उन्होंने मीडियाजनों से कहा कि जिले में कम वजन के बच्चों को पर्याप्त पोषण उपलब्ध कराने में तथा आंगनबाड़ी केन्द्रों की सुविधाओं को बेहतर बनाने में सक्रिय योगदान की अपेक्षा है। जल दिवस के अवसर पर उन्होंने लोगों में जल का दुरूपयोग रोकने तथा जल संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए लोगों में चेतना जागृत करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि मीडिया के माध्यम से जनचेतना जागृत कर समाज में अनेक बदलाव हुए हैं। इसके लिए मीडिया की सक्रिय भूमिका की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हमारी आने वाली पीढ़ी स्वस्थ्य और सुखद जीवन व्यतीत कर सके, इसके लिए आवश्यक है कि जल का संचय किया जाए। जितना अधिक हो सके उतना जल का संरक्षण किया जाए। जल संरक्षण प्रत्येक व्यक्ति का दायित्व है और मीडिया लोगों में यह दायित्व बोध जगाने का काम करें। कलेक्टर ने कहा कि पानी के अंधाधुंध दोहन से भूजल स्तर लगातार नीचे जाता जा रहा है जो एक गंभीर चिंता का विषय है। इसका मुख्य कारण जल के प्रति हमारा असंवेदनशील होना और उसके प्रति सम्मान का अभाव है। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण और संवर्धन के अनेक तरीके हैं। जिसमें पानी की गति को कम करना ताकि अधिक से अधिक पानी भूमि के अंदर जा सके। दूसरा छोटी-छोटी जल संरचनाओं का निर्माण करना। यह कोई बड़ी धनराशि खर्च करने वाले या अधिक लागत वाले कार्य नहीं है। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति अपने-अपने स्तर पर जल संरक्षण के लिए कुछ न कुछ अवश्य कर सकता है। उन्होंने कहा कि नदियों के पुनरजीवन के लिए उनके पास खेतों में छोटे-छोटे बंधान बनाने मात्र से ही नदी के जल स्तर में वृद्धि होती है और नदी का स्त्रोत सतत प्रवाहित रहता है। उन्होंने कहा कि एक ओर सबसे महत्वपूर्ण कार्य है, जल स्त्रोतों को स्वच्छ बनाए रखना। किसी भी तरह की गंदगी उनमें नहीं जाने देना। अशुद्ध जल मानव जीवन के लिए नुकसान दायक है। जल संरक्षण के संबंध में वाटरशेड मिशन भोपाल से आए विशेषज्ञ द्वारा विस्तार से जानकारी दी गई। कार्यशाला में जिला कार्यक्रम अधिकारी आरसी त्रिपाठी तथा परियोजना अधिकारी अवंतिका तिवारी ने पीपीटी के माध्यम से प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना तथा राष्ट्रीय पोषण मिशन के बारे में विस्तार से जानकारी दी। कार्यशाला में अनेक पत्रकारों द्वारा राष्ट्रीय पोषण मिशन तथा जल संरक्षण के बारे में कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए। कार्यशाला में पत्रकार, महिला बाल विकास विभाग के सहायक संचालक ज्ञानेश्वर खरे, जिला महिला सशक्तिकरण अधिकारी संजय गहरवाल, ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के कार्यपालन यंत्री एसएल धुर्वे तथा सभी उपयंत्री उपस्थित थे।