इंदौर(ईन्यूज एमपी)- एमबीए डिग्रीधारी युवा प्रदेश के पिछड़े इलाकों में सेवा करेंगे। सफाई, स्वास्थ्य के लिए सेवा के बदले इन्हें हर साल छह लाख रुपए वेतन भी दिया जाएगा। देश के ख्यात उद्योग समूह टाटा के ट्रस्ट की ओर से इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज (आईएमएस) में पढ़ रहे छात्रों को परोपकार की अनोखी नौकरी दी गई है। दो दिन पहले बाकायदा चयन प्रक्रिया के जरिये 13 विद्यार्थियों को चुना गया। इनमें ज्यादातर छात्राएं हैं। टाटा समूह का ट्रस्ट कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सबिलिटी (सीएसआर) के तहत प्रदेश के पिछड़े जिलों में स्वास्थ्य और स्वच्छता की बेहतरी के लिए काम शुरू करने जा रहा है। सीएसआर के तहत ट्रस्ट टाटा समूह की कंपनियों के मुनाफे का कुछ हिस्सा समाज कल्याण पर खर्च करता है। इन्हीं कामों में भागीदारी के लिए ट्रस्ट ने जिला स्तर पर इन युवाओं को कंसल्टेंट के तौर पर नियुक्ति दी है। खास बात यह है कि सीएसआर की इस अनोखी नौकरी के लिए ट्रस्ट द्वारा चुने सभी युवा वे हैं जिनके पास हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन की विशेषज्ञता के साथ एमबीए की डिग्री है। आईएमएस के प्लेसमेंट ऑफिसर डॉ.निशिकांत वाईकर के मुताबिक अब तक हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन में एमबीए डिग्री लेने वालों को बड़े अस्पताल समूह प्रशासनिक पदों के लिए ऑफर देते रहे हैं। यह पहला मौका है जब टाटा समूह का ट्रस्ट सीएसआर के तहत कोर्स के युवाओं को नौकरी दे रहा है। इनके चयन के लिए टाटा ट्रस्ट के मुंबई मुख्यालय, दक्षिण भारत और क्षेत्रीय मुख्यालय से चार अधिकारियों की टीम आईएमएस पहुंची थी। उम्मीदवारों का रिटर्न टेस्ट और फिर इंटरव्यू लिया गया। इसके बाद अंतिम रूप से 13 छात्रों को चुना जो पासआउट हो रहे हैं। इनमें नौ लड़कियां हैं। ये सभी छात्र ऐसे हैं जिनके पास पहले से स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़ी शैक्षणिक योग्यता जैसे बीपीटी, नर्सिंग या डेंटिस्ट्री की डिग्री है। हर युवा को कंसल्टेंट के तहत आठ से 10 गांवों की जिम्मेदारी दी जाएगी। इनके अधीन कार्यकर्ताओं का एक समूह होगा। ट्रस्ट प्रदेश के ऐसे जिलों में ही नियुक्ति दे रहा है जो पिछड़े माने जाते हैं। इंदौर-उज्जैन जैसे जिलों को सूची से बाहर रखा गया है। इन जिलों में करेंगे काम झाबुआ, सतना, कटनी, अशोक नगर, आलीराजपुर, राजगढ़, टीकमगढ़, अनूपपुर, श्योपुर, छतरपुर, सिंगरौली।