वाराणसी (ईन्यूज़ एमपी) मनोज त्रिपाठी - काशी से गहरा लगाव रखने वाले तार सप्तक के प्रमुख कवि केदारनाथ सिंह सोमवार की रात दिल्ली के एम्स अस्पताल में इलाज के दौरान असामयिक निधन से वाराणसी के साहित्यप्रेमियों में शोक की लहर दौड़ गई। सोशल मीडिया में उनके चहेतों ने उनके संग्रहों की पंक्तियों से श्रद्धांजलि देने लगे। पारिवारिक सूत्रों के अनुसार उनका अंतिम संस्कार मंगलवार को दिल्ली के लोधी रोड स्थित श्मशान घाट पर किया जाएगा। डॉ. केदारनाथ सिंह को करीब डेढ़ माह पहले कोलकाता में निमोनिया हो गया था। इसके बाद से ही वह बीमार चल रहे थे। उनका सोमवार रात करीब साढ़े आठ बजे एम्स में निधन हो गया। उनके परिवार में एक पुत्र और पांच पुत्रियां हैं। विदित हो कि 84 वर्षीय केदारनाथ सिंह का जन्म 1934 में उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के चकिया गांव में हुआ था। उन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय से 1956 में हिंदी में एमए और 1964 में पीएचडी की उपाधि हासिल की। तार सप्तक के प्रमुख कवि केदारनाथ सिंह के निधन पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने सोमवार की रात ट्वीट कर शोक संवेदना प्रकट की। सीएम योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट कर लिखा है कि स्व0 केदारनाथ सिंह ने समकालीन कविता को नई गति और दिशा देते हुए अपनी कालजयी रचनाओं से हिंदी साहित्य को समृद्ध किया और साहित्य जगत में उनके योगदान को सदैव याद रखा जाएगा। हिन्दी की समकालीन कविता और आलोचना के सशक्त हस्ताक्षर और अज्ञेय के तीसरे तार सप्तक के प्रमुख कवि डॉ. केदारनाथ सिंह का सोमवार को दिल्ली में निधन हो गया। उनकी कालजयी कृतियों के लिये उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार, साहित्य अकादमी पुरस्कार और व्यास सम्मान सहित कई सम्मानों से पुरस्कृत भी किया गया था। उनके प्रमुख कविता संग्रहों में अभी बिलकुल अभी, जमीन पक रही है, यहां से देखो, बाघ, अकाल में सारस और उत्तर कबीर शामिल हैं। आलोचना संग्रहों में कल्पना और छायावाद, मेरे समय के शब्द और आलोचना की पुस्तकों में मेरे समय के शब्द, आधुनिक कविता में बिंबविधान कल्पना और छायावाद, मेरे साक्षात्कार आदि प्रमुख हैं। वे भारतीय भाषा केंद्र में बतौर अध्यक्ष और आचार्य काम कर चुके थे। इसके अलावा वह जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के भारतीय भाषा केंद्र में बतौर अध्यक्ष और आचार्य काम कर चुके थे।